कश्मीर घाटी में अलगाववादियों की अपील पर होने वाली बार-बार की हड़तालों के बीच हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन ने कहा है कि ऐसे प्रदर्शन सही विकल्प नहीं हैं क्योंकि इनसे आम आदमी प्रभावित होता है.
सलाहुद्दीन ने कहा ‘‘यह आंदोलन दो-चार दिनों का नहीं है, इसमें बहुत समय लगेगा.. इसलिए लगातार हड़ताल करना सही विकल्प नहीं है. आंदोलन चलना चाहिए, लेकिन शैक्षणिक संस्थान और अर्थव्यवस्था संबंधी संस्थानों को भी लगातार काम करते रहने चाहिए.’
सलाहुद्दीन ने एक स्थानीय संवाद समिति से कहा ‘‘इसके लिए एक रणनीति होनी चाहिए, ताकि लोग भी प्रभावित न हों और आंदोलन भी चलता रहे. हड़ताल अलग-अलग चरणों में हो सकती है, ताकि आम आदमी परेशान न हो और बच्चों की पढ़ाई भी चलती रहे.’’ हिज्बुल प्रमुख ने इस प्रदर्शन को जिला स्तर पर चलाने की भी हिमायत की. सलाहुद्दीन यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का भी प्रमुख है जिसमें 13 आतंकवादी संगठनों का प्रतिनिधित्व है.
सलाहुद्दीन के मुताबिक ‘‘सोपोर, अनंतनाग, बारामूला और कुपवाड़ा के अलावा अन्य जिलों तक मार्च की अपील की जा सकती है, जिसके अलावा दूसरे जिलों के लोग सामान्य तौर पर अपना कामकाज करते रहें. इससे न तो अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और न ही बच्चों की शिक्षा.’
केंद्र और अलगाववादियों के बीच बातचीत का विरोध करते हुए आतंकवादी संगठन के मुखिया ने कहा ‘‘हुर्रियत नेतृत्व को थोड़े समय के लिए भारत के साथ किसी भी तरह की वार्ता से दूर रहना चाहिए. इसके बजाए उन्हें एक संयुक्त रणनीति बनानी चाहिए.’ सलाहुद्दीन ने कहा कि यूनाइटेड जिहाद काउंसिल ने उन सभी स्थानों पर अपनी सशस्त्र गतिविधियों को रोक दिया है, जहां लोग प्रदर्शन कर रहे हैं.
सीमा पार से घुसपैठ के सरकार के दावों का विरोध करते हुए आतंकवादी संगठन के मुखिया सलाहुद्दीन ने कहा कि भारत सरकार ने सीमा पर सुरक्षा बलों के 3.5 लाख जवानों को तैनात किया है और ऐसे में घुसपैठ कैसे संभव है. उसने कहा ‘‘अगर इसके बाद भी सरकार ऐसे दावे कर रही है, तो वे लोग सीमा पर क्या कर रहे हैं.’