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रिपब्लिकन सीनेटर बोले- H1B वीजा पॉलिसी को कमजोर नहीं करेंगे ट्रंप

कई दिनों से अमेरिका में वीजा नियमों में बदलाव के मद्देनजर मंगलवार को एक रिपब्लिकन सीनेटर ओरियन हेच ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप H-1B पॉलिसी को कमजोर करने की कोशिश नहीं करेंगे. बता दें कि H-1B वीजा को भारतीय आईटी कंपनियां जमकर इस्तेमाल करती है.

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डोनाल्ड ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप

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कई दिनों से अमेरिका में वीजा नियमों में बदलाव के मद्देनजर मंगलवार को एक रिपब्लिकन सीनेटर ओरियन हेच ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप H-1B पॉलिसी को कमजोर करने की कोशिश नहीं करेंगे. बता दें कि H-1B वीजा को भारतीय आईटी कंपनियां जमकर इस्तेमाल करती है.

हाल ही में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में बिल पेश किया गया है जिसके मुताबिक H-1B वीजाधारक को 60 हजार डॉलर की बजाय 1 लाख 30 हजार डॉलर सैलरी देने की बात कही गई है.

सीनेटर ऑरिन हेच के मुताबिक, उन्होंने ट्रम्प के साथ कई मीटिंग की और H-1B वीजा के फायदों को बताया. हेच के मुताबिक, 'मुझे लगता है कि ट्रम्प इस मुद्दे पर अपने पॉलिटिकल एजेंडे को दूर रखेंगे.' हमें जॉब्स लाने चाहिए. हमें इकोनॉमी आगे ले जाने की कोशिश करनी चाहिए. प्रेसिडेंट इसमें पॉलिटिकल सोच को दूर रखेंगे.'

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हेच ने ये भी कहा कि, 'मुझे यकीन है कि मैं ट्रंप को इस मुद्दे पर समझा लूंगा कि ये अमेरिकन वर्कर्स और इकोनॉमी के हित में है.' बता दें कि 2015 में हेच ने H-1B वीजा को 1 लाख 15 हजार से बढ़ाकर 1 लाख 95 हजार करने का प्रपोजल भी पेश किया था. भारतीय आईटी इंडस्ट्री अमेरिका को 62% एक्सपोर्ट करती है. दूसरे नंबर पर यूरोपीय यूनियन का मार्केट है. जहां के लिए 28 फीसदी का एक्सपोर्ट होता है.

नए वीजा बिल की खास बात
H-1B वीजा पर नए नियमों के लिए कैलिफोर्निया की सांसद जो लॉफग्रेन ने 'द हाई स्किल्ड इंटीग्रिटी एंड फेयरनेस एक्ट 2017' बिल पेश किया था. 30 जनवरी को यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में पेश किए गए बिल में प्रावधान है कि H-1B वीजा होल्डर्स को मिनिमम सैलरी 60 हजार डॉलर (40 लाख रु.) से दोगुनी बढ़ाकर 1.30 लाख डॉलर (करीब 88 लाख रु.) देनी होगी.

बता दें कि H-1B वीजा पर भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स अमेरिका जाकर काम करते हैं. अगर ये बिल पास होता है तो ज्यादा सैलरी के प्रोविजन के चलते इन्फोसिस, विप्रो, टीसीएस जैसी भारतीय कंपनियों में काम कर रहे आईटी प्रोफेशनल्स की नौकरियों पर खतरा हो सकता है. वहीं, नए बिल के असर के चलते भारत की टॉप 5 आईटी कंपनियों मार्केट वैल्यू 50 हजार करोड़ तक गिर गई थी. इस बिल के तहत लोएस्ट पे कैटेगरी हटा दी गई है. यह कैटेगरी 1989 से लागू थी. इसी के तहत H-1B वीजा होल्डर्स को मिनिमम सैलरी 60 हजार डॉलर देने का नियम था.

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जानिए क्या होता है H-1B वीजा
H-1B वीजा एक नॉन-इमीग्रेंट वीजा है. इसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी थ्योरिटिकल या टेक्नीकल एक्सपर्ट्स को अपने यहां रख सकती हैं. H-1B वीजा के तहत टेक्नोलॉजी कंपनियां हर साल हजारों इम्प्लॉइज की भर्ती करती हैं.

ये कहती है H-1B वीजा पर बनी रिपोर्ट
H-1B वीजा करीब 86% भारतीयों को कंप्यूटर और 46.5% को इंजीनियरिंग पोजिशन के लिए दिया गया है. 'अमेरिका हर साल 85 हजार लोगों को H-1B वीजा देता है. इनमें से करीब 20 हजार अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में मास्टर्स डिग्री करने वाले स्टूडेंट्स को जारी किए जाते हैं.' 2016 में 2 लाख 36 हजार लोगों ने H-1B वीजा के लिए अप्लाई किया था. इसके चलते लॉटरी से वीजा दिया गया. H-1B वीजा क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स को दिया जाता है. वहीं L1 वीजा किसी कंपनी के इम्प्लॉई के अमेरिका ट्रांसफर होने पर दिया जाता है. इन दोनों ही वीजा को भारतीय कंपनियां जमकर इस्तेमाल करती हैं.

http://aajtak.intoday.in/story/white-house-says-we-are-still-working-on-diffrent-angels-of-trump-decision-of-visa-ban-1-911913.html

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