बादल फटने की घटना से तबाह हुए लेह में बचावकर्मियों की ओर से मलबे में दबे शवों को निकाले जाने के बीच लापता हुए करीब 600 लोगों की तलाश जारी है.
बादल फटने की घटना में मरने वालों की तादाद 130 तक पहुंच गयी है. राहत दल भी उंचाई पर स्थित लेह के दूर-दराज के गांवों में पहुंचने की कोशिश में है.
एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि भारतीय वायुसेना का एक विमान राहत सामग्री लेकर लेह में उतरा है. विमान में प्रभावित लोगों के लिए कंबल, सूखी खाद्य सामग्री, दवाएं और अन्य जरूरत के सामान हैं. प्रवक्ता ने बताया कि बादल फटने की घटना के पीड़ितों के लिए सशस्त्र बलों ने बड़े पैमाने पर राहत और बचाव अभियान चला रखा है.
जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक कुलदीप खोड़ा ने बताया कि अब तक 130 शव बरामद किए जा चुके हैं और कम से कम 370 अन्य घायल हैं. लापता लोगों की संख्या अभी भी निश्चित नहीं है.
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि इस घटना में मरने वालों की संख्या में इजाफा हो सकता है. सूत्रों ने आशंका जतायी कि मरने वालों की तादाद 500 से ज्यादा हो सकती है क्योंकि दूर-दराज के कई गांवों तक तो अभी राहत दल पहुंच भी नहीं पाए हैं.{mospagebreak}
चोगलमसुर के निकट एक छोटा सा गांव प्रलयंकारी वर्षा के कारण पूरी तरह बर्बाद हो गया. बचावकर्मी मलबे में अभी भी जिंदा लोगों की तलाश में जुटे हैं. यहां से 13 किलोमीटर दूर चोगलमसुर से 200 लोगों के अभी भी लापता होने की खबर है.
एक ठेकेदार ने राज्य प्रशासन के आला अधिकारियों से कहा कि उसकी ओर से नियुक्त 150 मजदूर श्योंग गांव से लापता हैं. ठेकेदार ने इन मजदूरों को इसी गांव में ठहराया था. श्योंग गांव सिंधु नदी के किनारे बसा है और अधिकारियों को आशंका है कि कई झोपड़ियां बाढ़ में बह गयी होंगी. थलसेना को स्थानीय और बाहर से आए मजदूरों का ब्योरा देने को कहा गया है.
अधिकारियों का कहना है कि थलसेना को भी तुतरुक इलाके में नुकसान हुआ है. गाड़ियों की आवाजाही के मामले में दुनिया की सबसे उंची सड़क चांग ला दर्रा से सटे कुछ गांवों के भी मूसलाधार बारिश में बह जाने की आशंका जताई जा रही है.
केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने आज इस इलाके का दौरा किया. बाद में उनके दो मंत्रिमंडलीय सहयोगी, गुलाम नबी आजाद और पृथ्वीराज चौहान भी यहां पहुंचे.