बाजार पर छाई मंदी को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक बार फिर नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और रेपो रेट में कमी की है. इससे बैंकिंग तंत्र में तरलता बढ़ाने में मदद मिलेगी साथ ही लोन रेट में भी कमी होगी. सीआरआर में 1 प्रतिशत की कमी की गई है जबकि रेपो रेट में 0.5 प्रतिशत की कटौती की गई है.
रिजर्व बैंक की यह कोशिश बाजार में तरलता बनाए रखने से जोड़ कर देखा जा रहा है. इससे पहले भी आरबीआई ने बहुत बड़े कदम उठाए हैं. इससे 1 लाख 85 हजार करोड़ तरलता बाजार में उपलब्ध हो गया था.
अब सीआरआर में की गई 1 प्रतिशत की कमी से बाजार में 40-45 हजार करोड़ रुपया आ जाएगा. रेपो रेट में किए गए किसी भी बदलाव का सीधा असर ब्याज दरों पर पड़ता है. आरबीआई के रेपो दर में की गई 0.5 प्रतिशत की कमी के बाद बैंको द्वारा दिए जाने वाले लोन की दरों में भी कमी होने की संभावना जताई जा रही है.
सीआरआर में की गई इस कटौती को दो चरणों में लागू किया जाएगा जबकि रेपो रेट की कमी को एक ही चरण में लागू किया जाएगा.