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रिजर्व बैंक ने मोरेटोरियम पीरियड में ब्याज माफी की मांग को गलत बताया, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि इससे बैंकों को 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा. सुप्रीम कोर्ट में आरबीआई ने हलफ़नामा दायर कर 6 महीने की मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज माफी की मांग को गलत बताया.

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रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा
रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा

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  • रिजर्व बैंक ने ब्याज माफी की मांग को गलत बताया
  • RBI ने कहा कि इससे बैंकों को भारी नुकसान होगा
  • इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार को होगी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस मांग का विरोध किया है कि कर्ज की किस्तें 6 महीने तक टालने की अवधि यानी मोरेटोरियम के दौरान बैंक ब्याज भी माफ करें. रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि इससे बैंकों को 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

बैंकों को 2 लाख करोड़ का नुकसान!

सुप्रीम कोर्ट में आरबीआई ने हलफ़नामा दायर कर 6 महीने की मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज माफी की मांग को गलत बताया. RBI ने कहा कि लोगों को 6 महीने का EMI अभी न देकर बाद में देने की छूट दी गई है, लेकिन इस अवधि का ब्याज भी नहीं लिया गया तो बैंकों को 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

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क्या है मामला

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें मांग की गई है कि लॉकडाउन के दौरान लोन की किस्त के ब्याज में छूट मिलनी चाहिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक से जवाब मांगा ​था. मामले पर शुक्रवार को सुनवाई होगी.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कोरोना संकट के बीच लोगों और कॉरपोरेट जगत को परेशानी से बचाने के लिए लोन की ईएमआई भुगतान टालने यानी मोरेटोरियम की सुविधा दी है. रिजर्व बैंक ने सबसे पहले मार्च के अंत में इसका ऐलान करते हुए इसे तीन महीने के लिए दिया था, लेकिन हाल में इसे फिर तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया यानी कुल छह महीने मार्च से अगस्त तक के लिए यह सुविधा दी गई है.

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क्या कहा था रिजर्व बैंक ने

​रिजर्व बैंक ने कहा कि इस दौरान अगर कोई अपने लोन की किस्त नहीं चुका पाता है तो बैंक उस पर दबाव नहीं बनाएंगे और न ही ऐसे लोगों को डिफाल्टर की श्रेणी में रखा जाएगा. इस चूक पर किसी तरह की पेनाल्टी भी नहीं लगाई जाएगी और उनकी क्रेडिट रेटिंग भी नहीं खराब होगी, लेकिन इस माफी अवधि का पूरा ब्याज लोगों को चुकाना होगा.

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कोरोना लॉकडाउन जारी रहने की वजह से खासकर कॉरपोरेट जगत द्वारा इस बात के लिए दबाव बनाया जा रहा था कि मोरेटोरियम की सुविधा तीन महीने तक बढ़ाई जाए. रिजर्व बैंक ने पहले इसे मार्च से मई तक के लिए किया था, फिर इसे 1 जून से 31 अगस्त के तीन महीने तक और बढ़ा दिया गया है.

क्या मिली सुविधा

इस तरह लोगों को कुल 6 महीने तक लोन की ईएमआई नहीं देने का विकल्प मिल गया है.यह सुविधा सभी तरह के टर्म लोन ग्राहकों (आम लोगों, कॉरपोरेट, कारोबारियों) को मिलेगी. यह होम लोन, ऑटो लोन, क्रेडिट कार्ड लोन जैसे सभी टर्म लोन पर मिलेगी.

लेकिन कुछ कर्जदार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण में चले गए हैं कि इस दौरान बैंक उनसे ब्याज भी न लें. कर्जदारों का कहना है कि वह परेशान हैं, इसलिए लोन की किस्त नहीं दे पा रहे, ऐसे में उनसे ब्याज वसूलना कहां का न्याय है.

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