पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए भारतीय संसद ने निंदा प्रस्ताव तो पारित कर दिया, पर हमारे नेता इसे लेकर अलग-अलग सुर में बोल रहे हैं.
विरोध की पहली आवाज सरकार के अंदर से आई. केंद्रीय मंत्री फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि संसद द्वारा प्रस्ताव पारित करने से कुछ हासिल नहीं होगा बल्कि इससे सीमा पार भारत के ‘दुश्मनों’ को ही ताकत मिलेगी.'
लेफ्ट नेता बासुदेव आचार्य भी उनकी ही भाषा में बोलते नजर आए. उन्होंने कहा, 'मैं प्रस्ताव के सभी बिंदुओं से सहमत नहीं हूं. इसमें जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया गया है वो बेहद ही कड़े हैं, इससे दोनों देश के बीच बेहतर हो रहे रिश्तों को नुकसान होगा.' हालांकि लेफ्ट के नेता ने यह भी दावा किया कि उन्होंने इस प्रस्ताव का एक ही पन्ना पढ़ा है.
ये तो वो लोग थे जिन्होंने इस प्रस्ताव को लेकर दबे शब्दों में मुखालफत की. अब बारी आई इसका समर्थन करने वालों की. लोकसभा की नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने अपने ट्विटर प्रोफाइल से पाकिस्तान का नाम लिये बिना चेतावनी दी. उन्होंने ट्वीट किया, 'हमारे संयम की परीक्षा ना लें'- देश की संसद और भारत के लोगों का यही संदेश है. वंदे मातरम.
वहीं सपा सांसद रामगोपाल यादव ने भी इसका समर्थन किया. उन्होंने कहा, ऐसे हालात में जवाब देने का यही सही तरीका है.
गौरतलब है कि संसद ने पाकिस्तानी नेशनल एसेंबली के उस प्रस्ताव को बुधवार को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय सेना और जनता के खिलाफ पूरी तरह से बेबुनियाद आरोप लगाये गये हैं. लोकसभा में अध्यक्ष मीरा कुमार और राज्यसभा में सभापति हामिद अंसारी ने पाकिस्तानी नेशनल एसेंबली के प्रस्ताव के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया, जिसे दोनों ही सदनों में ध्वनिमत से मंजूर किया गया.