क्या दुनिया का कोई भी मुल्क अपनी परमाणु मिसाइल को असुरक्षित छोड़ सकता है? आप कहेंगे नहीं. लेकिन ऐसी लापरवाही हिंदुस्तान से ही हुई है. खुलासा हुआ है कि भारतीय मिसाइल 'प्रगति' दक्षिण कोरिया के बंदरगाह पर एक महीने तक बिना किसी सुरक्षा के ही पड़ी रही. यह मिसाइल यूपीए सरकार के दौरान सियोल रक्षा प्रदर्शनी में भेजी गई थी.
जमीन से जमीन पर सटीक मार करने में सक्षम भारत की बेहद आधुनिक और कामयाब टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल है प्रहार. इसी प्रहार मिसाइल का एक एक्सपोर्ट वेरियेंट बनी 'प्रगति' मिसाइल जिसे 2013 में दक्षिण कोरिया के सियोल में हुई एक प्रदर्शनी में भेजा गया था. यहीं से हुई रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी लापरवाही की शुरुआत.
ऐसा पहली बार हुआ था जब भारत की तरफ से किसी रक्षा प्रदर्शनी में डमी नहीं बल्कि असली टेस्ट मिसाइल भेज दिया गया था. लेकिन रक्षा प्रदर्शनी में भेजे जाने के बाद प्रगति मिसाइल का जो हश्र हुआ, वो और भी चौंकाने वाला है. दुश्मन फौज की छोटी टुकड़ी, टैंक, आगे बढ़ रहे दस्ते पर सटीक मार करने में बेहद कारगर ये प्रगति मिसाइल एक महीने तक असुरक्षित रही. सियोल प्रदर्शनी खत्म होने के बाद पूरे एक महीने तक हिन्दुस्तान के इस बेहद संवेदनशील रक्षा तकनीक की कोई सुरक्षा नहीं थी.
हुआ ये कि अक्टूबर 2013 में सियोल रक्षा प्रदर्शनी खत्म होने के बाद जिस तारीख को शिपिंग कन्साइमेंट से इसे भारत भेजा जाना था, वो छूट गया. फिर क्या था, करीब एक महीने भारत की आधुनिक मिसाइल दक्षिण कोरिया के बंदरगाह पर बिना किसी सुरक्षा के पड़ी रही. फिर इसे कमर्शियल कारगो के जरिए हिन्दुस्तान भेजा गया. रास्ते में मिसाइल को चीनी बंदरगाह से भी गुजरना पड़ा.
जासूसी का डर!
यह मिसाइल पिछले साल नंबवर में भारत पहुंचा. सियोल से शंघाई, हांगझाऊ, ताइवान, मनीला, सिंगापुर से पोर्ट कलांग और फिर विशाखापट्टनम. ऐसे में इस बात की क्या गारंटी है कि इस असुरक्षित रूट पर सफर के दौरान किसी ने इस मिसाइल तकनीक की जासूसी न की होगी.
200 किलो तक के परमाणु वारहेड के साथ 60 से 170 किलोमीटर तक सटीक मारक क्षमता वाले प्रगति मिसाइल के साथ हुई बड़ी लापरवाही का मसला आईबी ने मार्च 2014 में ही उठाया था. रक्षा मंत्रालय को लापरवाही की पूरी रिपोर्ट देने के बाद आईबी ने ये भी पूछा कि लापरवाही का जिम्मेदार कौन है, क्यों पहले से चले आ रहे नियमों को ताक पर रखकर सियोल रक्षा प्रदर्शनी में डमी की जगह असली टेस्ट मिसाइल भेज दिया गया. लेकिन पिछली मनमोहन सरकार ने इस मसले को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
रक्षा मंत्रालय ने सिर्फ ये कहकर मामले को रफा दफा करने की कोशिश की कि आगे से ध्यान रखा जाएगा. लेकिन मौजूदा सरकार इस मसले पर चुप बैठने वाली नहीं है. सूत्रों की माने तो मोदी सरकार प्रगति मिसाइल को लेकर हुई लापरवाही का कच्चा चिट्ठा खोलने का मन बना चुकी है.