घोटालों पर घोटाला, एक के बाद दूसरा, दूसरे के बाद तीसरा. इस बार मामला चावल के निर्यात से जुड़े घोटाले का है. सवाल उठे हैं पहले आओ-पहले पाओ की पॉलिसी पर. 2 जी घोटाले में इसी नीति को लेकर फजीहत में फंसी केन्द्र सरकार एक बार फिर घिरती नज़र आ रही है. मामला फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट में है.
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महंगाई काबू में रहे इसके लिए सरकार ने चार साल से गैरबासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा रखी थी. लेकिन पिछले दो सालों में चावल की बंपर पैदावार के कारण सरकार ने निर्यात खोलने का फैसला किया. किसानों को उम्मीद थी कि जैसे ही चावल का निर्यात खुलेगा उनको चावल का अच्छा रेट मिल पायेगा. लेकिन कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए जम कर हेरा-फेरी की गयी. फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट ने चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है.
गैरबासमती चावल का निर्यात खोलने के पीछे का तर्क था कि किसानों को ज्यादा कीमत मिलेगी लेकिन निर्यात पर कुछ कंपनियों का अधिकार होने के बाद किसानों को ज्यादा कीमत मिलने की उम्मीद कम ही हो गयी है.
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डीजीएफटी ने पहले आओ पहले पाओ की नीति के आधार पर दस लाख टन गैरबासमती चावल के निर्यात का लाईसेंस 82 कंपनियों को दिया है. इनमें से 16 कंपनियां एक ही परिवार की है. डीजीएफटी के अधिकारियों ने निर्यात लाईसेंस एक ही परिवार को देने के लिए नियमो को खुल कर तोड़ा और कम्प्यूटर प्रोग्राम में हेरा-फेरी भी की.
डीजीएफटी ने तय किया था कि किसी भी कंपनी को 12500 टन से ज्यादा निर्यात का लाईसेंस नहीं मिलेगा. लेकिन 16 ऐसी कंपनियों को लाईसेंस दिया गया जो एक ही परिवार की हैं और महज लाईसेंस हथियाने के लिए अलग-अलग नाम से कंपनियां बनाईं गयी थी.
इन कंपनियों के नाम इस प्रकार हैं-
1. एलएमजे ओवरसीज
2. एलएमजे लॉजिस्टिक्स
3. एलएमजे कन्स्ट्रक्शन
4. एलएमजे सर्विसेज
5.एलएमजे कॉमर्शियल्स
इन कंपनियों के मालिक है जयंत कुमार जैन. इनकी कंपनी एलएमजे लॉजिस्टिक्स ने गैरबासमती चावल के निर्यात के लिए तय अधिकतम 12500 टन के लिए अप्लाई किया, और डीजीएफटी ने उसे 12500 टन के निर्यात का लाईसेंस दे दिया. इसी तरह जैन की ही दूसरी कंपनी नेट एग्री कंपनी प्राईवेट लिमिटेड को भी 12500 टन चावल निर्यात का लाईसेंस मिल गया. एलएमजे कंपनी के डायरेक्टर जयंत कुमार जैन नेट एग्री में भी डायरेक्टर है.
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सबसे दिलचस्प तो यह बात है कि जयंत इतने भाग्यशाली हैं कि फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व की पॉलिशी के अंतर्गत उनके परिवार की 16 कंपनियों को निर्यात का लाईसेंस मिल गया.
इसी तरह से एलएमजे ओवरसीज को भी 12500 टन का लाईसेंस मिला. इस कंपनी के बोर्ड में भी डायरेक्टर के तौर पर जयंत कुमार जैन मौजूद है. लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती.
चावल घोटाले पर आरोपों की सच्चाई जानने के लिए आजतक ने जेके जैन के सामने चंद सवाल रखे. ईमेल के ज़रिए भेजे गए सवालों पर जे के जैन ने जो जवाब भेजा है वो हम आपको बताते हैं.
जयंत ने कहा है, ‘मेरे ऊपर लगाए जा रहे सारे आरोप बेबुनियाद हैं. क्योंकि अभी सिर्फ़ शुरुआती आवंटन किया गया है, लाइसेंस तो तब जारी होता है जब कंपनी 10% की बैंक गारंटी और दूसरी प्रक्रियाएं पूरी कर लेती है.’
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जहां तक पहले आओ-पहले पाओ की बात है तो इस पॉलिसी पर अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह ने मुहर लगाई और उसी मुताबिक अधिसूचना जारी हुई.
दूसरी बात ये कि पहले आओ पहले पाओ नीति के साथ छेड़छाड़ करना मुमकिन नहीं है क्योंकि ये पूरा काम कंप्यूटर के ज़रिए किया जाता है. जिस किसी के पास आईईसी कोड हो, वो देश के किसी भी कोने बैठे-बैठे ऑनलाइन आवेदन कर सकता है.
जयंत कहते हैं, ‘जिन ढेर सारी कंपनियों का ज़िक्र किया जा रहा है उनमें से ज़्यादातर के बारे में मैं जानता ही नहीं.’
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