रिटेल में एफडीआई की मंजूरी के बाद संसद में भले काम ना हो रहा हो लेकिन एसोचैम का मानना है कि इस मंजूरी से उद्योग जगत को फायदा होगा.
एसोचैम ने रिटेल कारोबार में एफडीआई की अनुमति के केन्द्र सरकार के कदम को गलत समय पर लिया गया सही फैसला करार दिया है.
उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक पार्टियों के लिये सुझाव पत्र जारी करने के लिये आए एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा कि मंडल खुदरा बाजार में एफडीआई का स्वागत करता है लेकिन दुर्भाग्य से यह फैसला गलत समय पर किया गया है.
उन्होंने कहा कि देश के पांच राज्यों में जल्द ही चुनाव होने हैं और एफडीआई की विरोधी राजनीतिक पार्टियां केन्द्र सरकार पर इस फैसले को वापस लेने के लिये दबाव डाल रही हैं. उन्होंने कहा कि फैसले के व्यापक विरोध के चलते वे पार्टियां भी इसके खुलकर समर्थन में नहीं आएंगी जो इसके पक्ष में हैं.
रावत ने कहा कि एफडीआई के मुद्दे पर संसद की कार्यवाही ठप होने से इस गम्भीर विषय से जुड़ी बातें सदन के माध्यम से जनता तक नहीं पहुंच पा रही जो दुखद है. उन्होंने एफडीआई से छोटे व्यापारियों पर बुरा प्रभाव पड़ने सम्बन्धी सवाल पर कहा कि इस तिजारती तबके पर कुछ असर तो पड़ता है लेकिन उतना नहीं जितना कि हौव्वा खड़ा किया जा रहा है.
रावत ने कहा कि सरकार ने खुदरा व्यापारियों को पूरी तरह से विश्वास में लिये बगैर एफडीआई सम्बन्धी निर्णय किया है. उन्होंने खुदरा कारोबार में एफडीआइ का स्वागत करते हुए इसे सावधानी के साथ चरणबद्ध ढंग से लागू करने और इसके बारे में जनता और छोटे व्यापारी वर्ग को खुलकर जानकारी देने का सुझाव दिया.
रावत ने कहा कि देश में लघु उद्यमों के परिदृश्य के अलग-अलग पहलू हैं लिहाजा यहां एफडीआई को वैज्ञानिक ढंग से लागू करने की जरूरत है. एसोचैम महासचिव ने कहा कि चीन ने भी अपने यहां एफडीआई को चरणबद्ध ढंग से लागू किया और उसने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में भी इसे लागू करते वक्त खुदरा व्यवसायियों के हितों का ख्याल रखा.