चारा घोटाले में आरजेडी अध्यक्ष और देश के पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को 5 साल जेल की सजा सुनाई गई है. उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद लालू ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला सुना. फैसला सुनते हुए लालू काफी नाखुश दिखे. उन्होंने सजा पर विरोध जताया.
चली गई MP की सीट, 2024 तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे
इसके साथ ही, रशीद मसूद के बाद लालू की संसद सदस्यता भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक खत्म हो जाएगी. इतना ही नहीं, लालू अब 11 साल यानी 2024 तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 120 बी के तहत उन पर मामला साबित हुआ है. अगर उन्हें 2 साल या कम की सजा होती तो ऊंची अदालत से राहत मिलने के बाद वह 6 साल बाद चुनाव लड़ सकते थे. लेकिन अब ऐसा संभव नहीं है.
लालू के अलावा घोटाले के दोषी जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा और जगन्नाथ मिश्रा को चार साल की सजा सुनाई गई है.
देखें: क्या खत्म हो गया लालू का करियर?
सजा पाए लोगों की सूची
लालू यादव, RJD अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री बिहार, पूर्व रेल मंत्री: 5 साल की जेल, 25 लाख रुपये जुर्माना
जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार: 4 साल की जेल, 2 लाख रुपये जुर्माना
जगदीश शर्मा, जेडीयू सांसद: 4 साल की जेल, 5 लाख रुपये जुर्माना
बीएन शर्मा, जिला पशुधन अधिकारी: 5 साल की जेल, 1.5 करोड़ रुपये जुर्माना
केएम प्रसाद, असिस्टेंट डायरेक्टर: 5 साल की जेल, 1.5 करोड़ रुपये जुर्माना
आरके राना: 5 साल की जेल, 30 लाख रुपये जुर्माना
अन्य पशुपालन अधिकारी और सप्लायर: 4 से 5 साल की सजा
पढ़ें: भंडाफोड़ करने वाले IAS की छुट्टी कैंसल कर दी थी लालू सरकार ने
BJP-JDU की साजिश, लालू हमारे नेता थे और रहेंगे: RJD
फैसला सुनकर कोर्ट के बाहर मौजूद कुछ RJD कार्यकर्ता रोने भी लगे. सजा पर आरजेडी नेता राम कृपाल यादव ने कहा, 'यह बीजेपी और जेडीयू की साजिश है. हम राबड़ी देवी के साथ जनता की अदालत में जाएंगे. हम हताश नहीं हैं और हमारे नेता भी हताश नहीं हैं. हम लालू के नेतृत्व में ही काम करेंगे. लालू हमारे नेता थे और रहेंगे.'
फैसले से गदगद हुई JDU
वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. पार्टी के सांसद साबिर अली के मुताबिक, 'कोर्ट के इस फैसले से राजनीति में पारदर्शिता आएगी. कोई भी शख्स अब भ्रष्टाचार को अंजाम देते हुए घबराएगा. अब सबके जेहन में यह बात रहेगी कि अगर हम कुछ गलत करेंगे तो हमारे साथ बुरा ही होगा.' यह पूछे जाने पर कि लालू के जेल जाने के बाद क्या आरजेडी कार्यकर्ताओं का वह अपनी पार्टी में स्वागत करेंगे, उन्होंने कहा, 'यह कहना अभी ठीक नहीं होगा. यह तो वक्त ही तय करेगा कि आरजेडी का भविष्य क्या है.'
वकील ने दी थी बतौर रेल मंत्री अच्छे काम की दलील
अदालत में लालू के वकील ने यह दलील देते हुए रहम की अपील की थी कि रेल मंत्री रहते हुए लालू ने अच्छा काम किया और देश के लिए काफी मुनाफा कमाया. वकील ने अदालत से यह भी कहा कि लालू 17 साल से मानसिक तनाव में रहे. उनकी उम्र भी काफी हो गई है और तबीयत भी ठीक नहीं रहती.
देखें: लालू यादव की अनदेखी तस्वीरें
कोर्ट के बाहर मीडिया से बात करते हुए लालू के वकील ने कहा, 'अपराधी को जेल में रखने का मकसद उसमें सुधार लाना होता है. लेकिन लालू के साथ अब वैसी कोई बात नहीं हैं. इसलिए उन्हें जेल में रखने का फायदा नहीं है.'
दोषियों को सबक देने वाली हो सजा: CBI वकील
इसी मामले में आरोपी नेता जगन्नाथ मिश्रा के वकील ने भी उनकी उम्र और सेहत का हवाला देते हुए कम सजा मांगी थी.
देखें: लालू यादव की नई पहचान, कैदी नंबर 3312
लेकिन सीबीआई के वकील बीएमपी सिंह ने दोषियों के लिए कड़ी सजा की मांग की. उन्होंने कहा कि ऐसी सजा हो जिससे दोषियों को सबक मिले और समाज में कड़ा संदेश जाए. उन्होंने कोर्ट के सामने दलील दी कि यह सिर्फ भ्रष्टाचार का नहीं, व्यापक षडयंत्र का मामला है.
30 सितंबर को ही दोषी करार दिए गए थे लालू
17 साल पुराने चारा घोटाले में कुल 950 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई थी. इसमें लालू पर चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख रुपये फर्जी ढंग से निकालने का मामला था, जिसमें कोर्ट ने उन्हें 30 सितंबर को ही दोषी ठहरा दिया था. तभी साफ हो गया था कि लालू को कम से कम तीन और ज्यादा से ज्यादा सात साल कैद की सजा सुनाई जा सकती है. दोषी करार दिए जाने के बाद से ही लालू रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं.
पढ़ें: लालू ने जेल में खाई करेले की भुजिया और रोटी
दशहरे की छुट्टियों से बढ़ेगी मुश्किल
लालू जाहिर तौर पर फैसले के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में जाएंगे. लेकिन उनकी मुश्किल यह है कि दशहरे के चलते कोर्ट में 5 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक छुट्टी है. इसलिए कोर्ट में अपील करने के लिए दशहरे की छुट्टियों से पहले उन्हें सिर्फ एक दिन का ही समय मिलेगा.
सजा सुनाए जाने के बाद भी लालू के वकीलों की ओर से एक दिन के समय के भीतर ही अपील दाखिल किए जाने की संभावना बहुत कम है और अगर अपील दाखिल भी की गई तो उस पर सुनवाई दशहरे की छुट्टियों से पहले संभव नहीं हो पाएगी.