राष्ट्रीय जनता दल के एमएलसी सुनील कुमार सिंह की बिहार राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (बिस्कोमान) से छुट्टी हो गई है. इस संबंध में भारत सरकार द्वारा एक पत्र भी जारी किया गया है. साथ ही उनकी विधान परिषद सदस्यता पर भी खतरा मंडरा रहा है.
पत्र में लिखा गया है, बिहार राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड बिहार एवं झारखंड में प्रशासन की नियुक्ति के संबंध में राज्य सहकारी विपणन संघ की चुनाव प्रक्रिया को सहकारिता निर्वाचन प्राधिकार के आदेश संख्या 2012 के तहत रद्द कर दिया है.
सहकारी चुनाव प्राधिकरण ने MSCS अधिनियम की धारा 123 (1) के तहत बिस्कोमान में एक प्रशासक की नियुक्ति के लिए सिफारिश की है. बिस्कोमान के पिछले निदेशक मंडल (BOD) का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो गया है, लेकिन अब तक कोई बोर्ड मौजूद नहीं है. बिस्कोमान MSCS अधिनियम 2002 की धारा 122 के तहत एक निर्दिष्ट बहु-राज्य सहकारी समिति है.
कन्हैया प्रसाद की नियुक्ति
पत्र में ये भी लिखा है कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आलोक में और उपरोक्त बहु राज्य सहकारी समिति में निदेशक मंडल के स्वस्थ कामकाज सहित चुनाव के स्वतंत्र और निष्पक्ष संचालन के हित में तत्काल प्रभाव से कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव (IAS-2010) सेवानिवृत्त को नियुक्त करती है.
केंद्र सरकार MSCS अधिनियम की धारा 123(1) के तहत प्रशासक के रूप में इस आदेश के जारी होने की तारीख से छह महीने से अधिक की अवधि के लिए सोसायटी के मामलों का प्रबंधन करना और MSCS अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सोसायटी के चुनाव आयोजित करना और नियम 2002 के तहत प्रशासक केंद्र सरकार और उसके नियंत्रण के अधीन होगा. वक्त-वक्त पर दिए जाने वाले निर्देश बोर्ड या बिस्कोमान के किसी भी अधिकारी के सभी या किसी भी कार्य को करने और बिस्कोमान के हित में आवश्यक सभी कार्रवाई करने की शक्ति रखते हैं.
कार्यकाल के खत्म होने से पहले करना होगा बोर्ड का गठन
MSCS अधिनियम 2002 की धारा 123(5) में अन्यथा प्रावधानित को छोड़कर, प्रशासक अपने कार्यकाल की समाप्ति से पहले बिस्कोमान के उपनियमों के अनुसार एक नए बोर्ड के गठन की व्यवस्था करेंगे.
कार्यकाल के दौरान किसी भी समय प्रशासक पद पर होता है तो केंद्र सरकार ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझता है तो वह लिखित रूप में कारण बताते हुए आदेश दे सकता है. प्रशासक को बिस्कोमान के लिए एक नए बोर्ड के गठन की व्यवस्था करने का निर्देश दें. इसके उपनियमों के अनुसार, ऐसे बोर्ड के गठन पर तुरंत प्रशासक बिस्कोमान का प्रबंधन को नवगठित बोर्ड सौंप देगा और अपना काम बंद कर देगा.