राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री वैसे तो अपने चुटीले अंदाज और जमीनी राजनीति के लिए पूरे देश में जाने जाते हैं लेकिन इस बीच वे तिरंगा विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं. इस बीच लालू प्रसाद के तिरंगे को हाथों में लेने पर बवाल खड़ा हो गया है. वे तिरंगे को भारत की आन-बान-शान तो बताते हैं लेकिन ऐसी बातें उठ रही हैं कि उनके हाथ का तिरंगा भारतीय तिरंगे से मेल नहीं खाता.
तिरंगा सम्मान यात्रा के संस्थापकों से मिलने पर शुरू हुआ विवाद
गुरुवार को रे ग्रामसेवा तिरंगा सम्मान यात्रा के संस्थापक सुधांशु सुमन और ज्योतिष आचार्य अमरेंद्र मिश्र ने लालू प्रसाद से उनके सरकारी आवास (10 सर्कुलर रोड) पर मुलाकात की. यह संस्था कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक यात्रा निकाल रही है. इसी सिलसिले में इस संस्था से जुड़े लोगों ने लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की. तिरंगा यात्रा की प्रशंसा में लालू ने कहा कि तिरंगा भारत का आन-बान-शान है और तिरंगे को हाथ में उठाते ही उनका सीना चौड़ा और ललाट ऊंचा हो जाता है.
इस दौरान खिंचवाई तस्वीरों पर खड़ा हुआ बवाल
यहां तक तो सबकुछ ठीक था लेकिन लालू प्रसाद ने खुद और उनके साथ के लोगों ने जिस झंडे को हाथ में लेकर तस्वीर खिंचवाई. वह झंडा तिरंगे से अलग है. गौरतलब है कि भारतीय तिरंगे में 24 तीलियों वाला अशोक चक्र बना होता है. अशोक चक्र तिरंगे के बीचोबीच होता है. मगर लालू प्रसाद की हाथ वाले तिरंगे में 24 तीलियों वाला अशोक चक्र झंडे की बाईं ओर है. इसी वजह से ऐसे सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या लालू प्रसाद ने तिरंगे का अपमान किया है.