देश के अलग-अलग राज्यों में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों में से सात रोहिंग्या घुसपैठियों को गुरुवार को भारत सरकार वापस भेज रही है. ये सभी 7 असम में रह रहे थे. केंद्र सरकार पहली बार ऐसा कदम उठा रही है. केंद्र ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि रोहिंग्याओं को उनके वतन भेजा जाएगा.
जिन 7 लोगों को वापस भेजा जा रहा है उन्हें असम पुलिस ने 2012 में हिरासत में लिया था. तब से ये लोग असम के सिलचर जिले के कचार सेंट्रल जेल में बंद थे. कचार के प्रत्यर्पण अधिकारियों ने बताया कि जिन्हें वापस भेजा जा रहा है उनमें मोहम्मद जमाल, मोहबुल खान, जमाल हुसैन, मोहम्मद युनूस, सबीर अहमद, रहीमुद्दीन और मोहम्मद सलाम शामिल हैं. इनकी उम्र 26 से 32 साल के बीच है.
एक अधिकारी के मुताबिक, इस बारे में म्यांमार के राजनयिकों को कांसुलर एक्सेस दी गई थी. तभी इनकी पहचान हो पाई. इनके पते की रखाइन राज्य में पुष्टि होने के बाद पता चल पाया कि सातों म्यांमार के नागरिक हैं.
यह पहली बार है जब रोहिंग्याओं को भारत से म्यांमार भेजा जा रहा है. हालांकि असम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीमा) भास्कर ज्योति महंता की मानें तो विदेशी लोगों को वापस भेजने का काम पिछले कुछ समय से चल रहा है. मोहंती ने बताया कि इस साल शुरू में बांग्लादेश, म्यांमार और पाकिस्तान के कई नागरिकों को वापस भेजा गया है.
साल 2012 में हुई थी गिरफ्तारी
जिन 7 लोगों को म्यांमार भेजा जा रहा है उनकी गिरफ्तारी साल 2012 में हुई थी. गौरतलब है कि इन 7 रोहिंग्या लोगों को विदेशी कानून के उल्लंघन में 29 जुलाई, 2012 को पहले हिरासत में लिया गया. बाद में इन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाला गया. भारत सरकार ने पिछले साल संसद को बताया था कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) में दर्ज 14,000 से अधिक रोहिंग्या भारत में रहते हैं. हालांकि मदद देने वाली एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों ने देश में रहने वाले रोहिंग्या की संख्या तकरीबन 40,000 बताई है.