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महंगाई पर राज्‍यों की भूमिका अहम: प्रधानमंत्री

बढ़ती महंगाई के मामले में हर तरफ से हो रही आलोचना के बाद शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि मुद्रास्फीति का बुरा दौर बीत चुका है और स्थिति में जल्दी ही सुधार होगा.

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बढ़ती महंगाई के मामले में हर तरफ से हो रही आलोचना के बाद शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि मुद्रास्फीति का बुरा दौर बीत चुका है और स्थिति में जल्दी ही सुधार होगा.

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खाद्य कीमतों पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जहां तक मुद्रास्फीति का सवाल है तो उसका सबसे बुरा दौर खत्म हो चुका है. मुझे पूरा विश्वास है कि हम जल्दी ही बढ़ती कीमतों स्थिर कर सकेंगे.’’ उन्होंने बढ़ती कीमतों के पर गंभीर चिंता जता रहे मुख्यमंत्रियों से कहा, ‘‘पिछले कुछ सप्ताह में कीमतें कम हुई हैं और मैं उम्मीद करता हूं कि यह जारी रहेगा.’’

जमाखोरों को कड़ी चेतावनी देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कृत्रिम रूप से खाद्यान्न की कमी की स्थिति पैदा करने वाले जमाखोरों के खिलाफ अवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी. दाल और सब्जियों जैसी आवश्यक चीजों की बढ़ती कीमतों मद्देनजर खाद्य मुद्रास्फीति दिसंबर में करीब दशक भर के उच्चतम स्तर 20 फीसदी के करीब पहुंच गई थी हालांकि जनवरी में इसमें गिरावट दर्ज हुई.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि अच्छी फसल की संभावना और घरेलू एवं वैश्विक खाद्य कीमतों के बीच तारतम्य बनने से खाद्य मुद्रास्फीति में स्थिरता आने में मदद मिलेगी. इस सम्मेलन को आयोजित करने के संबंध में विपक्ष और कांग्रेस के एक धड़े की आलोचना झेल रहे खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार को धन्यवाद देते हुए सिंह ने कहा ‘‘हम सब खाद्य कीमतों में तेज बढ़ोतरी से आम आदमी को होने वाली परेशानी से चिंतित हैं.’’

प्रधानमंत्री ने बेहतर प्रतिस्पर्धा के लिए खुदरा कारोबार को खोलने का समर्थन किया और कहा कि थोकमूल्य और खुदरा कीमत में बहुत फर्क है. फिलहाल सिर्फ घरेलू कंपनियों को ही खुदरा क्षेत्र में कारोबार की मंजूरी है. सरकार ने खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी देने के संबंध में फैसला नहीं किया है हालांकि विदेशी कंपनियों को थोक कारोबार की मंजूरी है. उन्होंने कहा ‘‘हमें और प्रतिस्पर्धा की जरूरत है इसलिए खुदरा कारोबार को खोलने के संबंध में दृढ़ता से विचार करने की जरूरत है.’’

राज्य और स्थानीय स्तर पर लगने वाले कई किस्म के कर एवं शुल्कों के बारे में चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि इन सबके कारण में आवश्यक वस्तुओं की कीमत 10 से 15 फीसदी बढ़ी है. उन्होंने कहा इस पर विचार करने की जरूरत है. दाल कीमत में हो रही तेजी का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार जल्दी ही राष्ट्रीय दाल मिशन लांच करेगी ताकि आपूर्ति की कमी को पूरा किया जा सके. उन्होंने कहा कि दाल का घरेलू उत्पाद पिछले कई सालों से स्थिर है.

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सरकार ने घरेलू स्तर पर उगाई जाने वाली दालों की बजाय पीली मटर का आयात किया है ताकि आपूर्ति बढ़ाई जा सके. चीनी के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने उत्पादन में कमी की भरपाई के लिए शून्य शुल्क पर कच्ची और रिफाइंड चीनी के आयात को मंजूरी दी थी. उन्होंने कहा ‘‘हमें आयातित कच्ची चीनी के प्रसंस्करण में तेजी लानी चाहिए और सामने आने वाली सभी मुश्किलों को दूर करना चाहिए.’’ देश को चीनी की आवधिक कमी पूरी करने के लिए देश को एक नई मध्यम अवधि की नीति की जरूरत है. मूल्य संबंधी मुश्किलों से निपटने के लिए राज्य सरकारों की ढीली ढाली प्रतिक्रिया पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि ओएमएसएस के तहत राज्य सरकार द्वारा गेहूं और चावल का उठान उत्साहजनक नहीं रहा.’’

उन्‍होंने खाद्य पदार्थों की उंची कीमत के लिए वैश्विक कीमतों में तेजी और मानसून की असफलता जैसे तत्वों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा ‘‘हमने आय को सुरक्षित करने के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन कीमतों पर लगाम लगाने में हमें ज्यादा सफलता नहीं मिली.’’ उन्होंने कहा कि सरकार ने रियायती दर पर डीजल और बीज उपलब्ध कराए ताकि बारिश की कमी का मुकाबला किया जा सके और खाद्य वस्तुओं के शुल्क मुक्त आयात को मंजूरी दी गई जबकि उनका निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया.

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