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ओडिशा में एक और 'रॉयल बंगाल टाइगर' की मौत, जहर देने का अंदेशा

बाघ को राष्ट्रीय पशु का दर्जा मिला होने की वजह से देश की शान माना जाता है. रॉयल बंगाल टाइगर भारत के अलावा सि्रफ बांग्लादेश और म्यांमार में मिलते हैं.

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बाघों की देखभाल को लेकर फिर उठे सवाल
बाघों की देखभाल को लेकर फिर उठे सवाल

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ओडिशा के बालनगिर जिले की लाठोर फॉरेस्ट रेंज में एक 'रॉयल बंगाल टाइगर' की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. वन अधिकारी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि बाघ की मौत की वजह क्या है. बाघ के शरीर पर कोई चोट का निशान नहीं है इसलिए अंदेशा है कि बाघ को जहर देकर मौत की नींद सुलाया गया.

बाघ को राष्ट्रीय पशु का दर्जा मिला होने की वजह से देश की शान माना जाता है. रॉयल बंगाल टाइगर भारत के अलावा सिर्फ बांग्लादेश और म्यांमार में मिलते हैं. लेकिन इनकी संख्या में तेजी से गिरावट होने की वजह से इन्हें संरक्षित जीवों की सूची में हाल के वर्षों में शामिल किया गया है. अगर बाघों को बचाने की ओर सही तरीके से ध्यान नहीं दिया गया तो इनका दुनिया से अस्तित्व मिटने में ज्यादा साल नहीं लगेंगे.

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2011 में देश में कुल बाघों की संख्या 2,500 से कम थी. ओडिशा के बालनगिर जिले की लाठोर फॉरेस्ट रेंज को बाघों के रहने के लिए बहुत अनुकूल माना जाता है. यहां रॉयल बंगाल टाइगर की मौत ने बाघों की देखभाल को लेकर फिर सवाल उठाया है.

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