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RPF तैयार कर रही है 1200 कमांडो, नक्सल बेल्ट और कश्मीर में होंगे तैनात

रेलवे सुरक्षा बल(आरपीएफ) की ओर से नक्सल बेल्ट, पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर आदि संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा के लिए कमांडो तैयार किए जा रहे हैं. इनकी ट्रेनिंग चल रही है. चरणवार तरीके से ट्रेंड कर कमांडोज को रेलवे अपने प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा में तैनात करेगा.

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सांकेतिक तस्वीर.
सांकेतिक तस्वीर.

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रेलवे सुरक्षा बल (Railway Protection Force)की ताकत अब और बढ़ेगी. आरपीएफ अब कमांडो तैयार करने में जुटा है. पिछले चार महीने से हरियाणा के जगाधरी में कमांडो की ट्रेनिंग चल रही है. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद कमांडोज को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जाएगा. आरपीएफ की कोशिश है कि अपने पास पर्याप्त कमांडो रहें, जिससे संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा की कड़ी चुनौतियों से निपटा जा सके.

आरपीएफ के महानिदेशक, अरुण कुमार ने AajTak.in से बातचीत में बताया कि ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन कमांडोज को नक्सल प्रभावित इलाकों सहित पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर आदि हिस्सों में तैनात किया जाएगा. जहां रेलवे के नए बन रहे तमाम प्रोजेक्ट की सुरक्षा का जिम्मा इस विशेष सुरक्षा दस्ते पर होगा. कमांडो को बुलेट प्रूफ जैकेट, एडवांस वेपन सहित हर वो हथियार व अन्य उपकरण मिलेंगे, जो जरूरी होते हैं. अरुण कुमार के मुताबिक अच्छी संख्या में कमांडोज होने से आरपीएफ की क्षमता और बढ़ेगी.

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देश के सर्वोत्तम सुरक्षा बलों में शुमार आरपीएफ की बतौर महानिदेशक(DG) कमान संभाल रहे अरुण कुमार भारतीय पुलिस सेवा(IPS) के चर्चित अफसर रहे हैं. रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक की कमान संभालने से पहले वह बीएसएफ में रहे. 1985 बैच के आईपीएस अरुण कुमार की गिनती यूपी काडर के तेजतर्रार आईपीएस अफसरों में होती है. काफी समय से वह केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं. यह अरुण कुमार ही थे, जिन्होंने आरुषि-हेमराज हत्याकांड में सीबीआई  में रहते सबसे पहले जांच का जिम्मा संभाला था. यही नहीं उत्तर प्रदेश में एसटीएफ की स्थापना भी उनके समय ही हुई. वह एसटीएफ के पहले एसएसपी रहे. तब 1998 में उनकी टीम ने सूबे में आतंक का पर्याय बने कुख्यात बदमाश श्रीप्रकाश शुक्ला को मार गिराया था.

आरपीएफ का काम

आरपीएफ एक्ट, 1957 के तहत गठित रेलवे सुरक्षा बल एक प्रकार से यह सरकार, रेलवे विभाग, स्थानीय पुलिस और जनता के बीच एक सेतु का कार्य करता है. अपराधियों की धर-पकड़ में स्थानीय पुलिस की भी मदद करता है. इसका मुख्य काम देश में रेल यात्रियों की सुरक्षा, भारतीय रेलवे की सम्पत्तियों की रक्षा और  देश विरोधी गतिविधियों में रेलवे सुविधाओं के इस्तेमाल की निगरानी रखना है.

यह पैरा मिलिट्री फोर्स के रूप में भी जाना जाता है. दोषियों को गिरफ्तार करने, जांच पड़ताल करने और अपराधियों के खिलाफ केस चलाने का अधिकार होता है. रेलवे एक्ट, 1989 के तहत बाद में रेलवे सुरक्षा बल को और ताकतवर बनाया गया. जिसके बाद से चेन पुलिंग, छतों पर यात्रा, अनधिकृत रूप से कोच में प्रवेश आदि पर कार्रवाई का अधिकार दिया गया. अब इस फोर्स की बटालियन से तेजतर्रार जवानों को कमांडो के रूप में भी तैयार किया जाने लगा है.

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