पिछले एक साल के दौरान देश में कई रेल हादसे देखने को मिले हैं. इनमें से कुछ में आतंकियों के हाथ होने की बात भी सामने आई, जहां कि मंगलवार को भोपाल-उज्जैन ट्रेन में हुए धमाके में भी देखने को मिल रहा है. इस हमले ने हमारी सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को एक बार फिर उजागर किया, जहां रक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए जारी फंड धूल फांक रहे हैं.
वरिष्ठ रेल अधिकारियों के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने देश भर में भारी भीड़-भाड़ वाले कम से कम 1,000 रेल स्टेशनों और प्रमुख ट्रेनों को निगरानी के दायरे में लाने के लिए प्रत्येक के लिए 50 लाख रुपये आवंटित किए थे. हालांकि करीब इनमें से 95% स्टेशनों और ट्रेनों पर अब तक सीसीटीवी कैमरें नहीं लग पाएं हैं, जिससे किसी संदिग्ध गतिविधि को पकड़ पाना मुश्किल है.
सूत्रों के मुताबिक, स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा निर्भया फंड से जारी 500 करोड़ रुपयों का अब तक कोई इस्तेमाल नहीं किया गया है. वह भी तब, जबकि साल 2016-17 में रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों की सुरक्षा में खतरे के 40 मामले अब तक सामने आ चुके हैं.
रेल अधिकारियों का कहना है कि रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है, लेकिन निगरानी कैमरों की गैरमौजूदगी में यह नाकाफी ही साबित हो रहा है. वर्तमान में सिर्फ A1 और A श्रेणी के स्टेशनों पर ही सीसीटीवी कैमरे लगे, जबकि बाकी के स्टेशनों पर निगरानी सिस्टम नदारद हैं.
बता दें कि देश भर में करीब 8,000 रेलवे स्टेशन हैं, जिनमें से महज 75 स्टेशन A1 श्रेणी, तथा करीब 320 स्टेशन A श्रेणी में आते हैं.