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विजयादशमी पर पहली बार दिखेगा RSS के गणवेश में बदलाव, 20 हजार स्वयंसेवक पहनेंगे फुल पैंट

आरएसएस के गणवेश में इस बदलाव को लेकर 13 मार्च 2016 को नागौर की प्रतिनिधि सभा की बैठक में निर्णय किया गया था. तब आरएसएस महासचिव भैयाजी जोशी ने कहा था कि जल्द ही ब्राउन पैंट को गणवेश में शामिल कर लिया जाएगा.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गणवेश में किया गया बदलाव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गणवेश में किया गया बदलाव

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विजया दशमी यानी 11 अक्टूबर 2016 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गणवेश में खाकी हाफ पैंट की जगह ब्राउन कलर की फुल पैंट ले लेगी. बताया जाता है कि इस दौरान सरसंघचालक मोहन भगवत की मौजूदगी में एक साथ लगभग 20 हजार स्वयंसेवक पहली बार ब्राउन कलर की फुल पैंट में नजर आएंगे.

गौरतलब है कि आरएसएस के गणवेश में इस बदलाव को लेकर 13 मार्च 2016 को नागौर की प्रतिनिधि सभा की बैठक में निर्णय किया गया था. तब आरएसएस महासचिव भैयाजी जोशी ने कहा था कि जल्द ही ब्राउन पैंट को गणवेश में शामिल कर लिया जाएगा.

...इसलिए चुना गया विजया दशमी का दिन
संघ ने इस बदलाव के लिए विजया दशमी का दिन इसलिए चुना है कि आरएसएस की स्थापना 1925 में विजया दशमी के दिन ही हुई थी. संघ हर साल विजया दशमी को 'विजय दिवस' के रूप में मनाती है. संघ की सथपना के समय खाकी कमीज, खाकी हाफ पैंट, चमड़े की बेल्ट, काले जूते और काली टोपी की गणवेश में शामिल किया गया था. गणवेश में इससे पहले भी तीन बार बदलाव हो चुके हैं.

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पहली बार 1939 में हुआ था गणवेश में बदलाव
मोहन भागवत के संघ प्रमुख रहते हुए गणवेश में यह दूसरा बदलाव होने जा रहा है. गणवेश में पहली बार 1939 में बदलावा किया गया था. तब संघ प्रमुख हेडगेवार थे, जिन्होंने संघ की स्थापना थी. उस दौरान खाकी कमीज को बदलकर सफेद कमीज कर दिया गया था. इसके पीछे संघ का मानना था उनका गणवेश अंग्रेजी सेना की ड्रेस से हूबहू मिलता-जुलता था.

वजनदार जूतों की जगह हल्के जूते
संघ ने अपनी वेशभूषा में दूसरा बदलाव 1973 में किया गया था. उस वक्त संघ प्रमुख बाला साहब देवरस थे. पहले गणवेश में सेना के जूतों की तरह वजनदार जूतों का उपयोग किया जाता था. स्वयंसेवकों की मांग पर वजनदार जूतों की जगह तब सामान्य काले जूते रखे गए थे. गणवेश में तीसरा बदलाव 2010 ही किया गया था. इसके तहत चमड़े की बेल्ट की जगह कपड़े की बेल्ट को गणवेश में शमिल किया गया.

मोहन भागवत ने पहले भी रखा था फुल पैंट का प्रस्ताव
बताया जाता है कि उस वक्त भी मोहन भागवत ने प्रतिनिधि सभा में हाफ पैंट की जगह फुल पैंट का प्रस्ताव रखा था. लेकिन तब सभा ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए टाल दिया था कि इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसके लिए 5 साल का समय तय किया गया था. आखिरकार 13 मार्च को प्रतिनिधि सभा की बैठक में गणवेश में खाकी हाफ पैंट की जगह गहरे ब्राउन कलर की फुल पैंट को शामिल करने का फैसला सर्वसम्मति से ले लिया गया.

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