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संघ का नॉर्थ ईस्ट प्लान, त्रिपुरा-मेघालय के साथ मिशन-2019 की तैयारी

संघ के इस कार्यक्रम में धार्मिक गुरु और 21 आदिवासी राजा बैठक में हिस्सा लेंगे. इस बैठक के पीछे कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे है. राजनीतिक जानकरों का मानना है कि त्रिपुरा, मेघालय में नागालैंड में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में पुर्वोत्तर में संघ का कार्यक्रम काफी महत्वपूर्ण है.

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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ नॉर्थ ईस्ट में अपनी जड़ें मजबूत करने में लगा है. संघ ने असम के गुवाहाटी में 21 और 22 जनवरी को 40 हजार स्वयंसेवकों की एक विशाल जनसभा की तैयारी की है. इसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित प्रमुख धार्मिक गुरु और आदिवासी नेता शामिल होंगे. संघ प्रमुख स्वयंसेवकों को संबोधित भी करेंगे. नॉर्थ ईस्ट के त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ-साथ अगले साल 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी के लिए आरएसएस की ये बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है.

बता दें कि पिछले दो सालों से इस कार्यक्रम के लिए विभिन्न स्तरों पर तैयारी चल रही है. इस कार्यक्रम में नॉर्थ ईस्ट के सभी क्षेत्रों के स्वयंसेवक एक जगह एकजुट होंगे. स्वयंसेवक शारीरिक व्यायाम का बड़ा प्रदर्शन भी करेंगे, जबकि 1994 में पूर्वोत्तर भारत में संघ ने कार्यक्रम किया था तो महज 4000 स्वयंसेवक ही इकट्ठे हुए थे.

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असम में पूर्वोत्तर क्षेत्र के स्वयंसेवकों को एकजुट करके संघ अपनी बड़ी ताकत दिखाएगा. इसीलिए नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के सभी स्वयंसेवकों को एक साथ लाने की योजना बनाई गई है. असम के संघ का मानना है कि जब स्वयंसेवक एक दूसरे को देखेंगे तो स्वयंसेवकों के बीच एक अधिक सामंजस्य और अनुशासन स्थापित होगा.

संघ के इस कार्यक्रम में धार्मिक गुरु और 21 आदिवासी राजा बैठक में हिस्सा लेंगे. इस बैठक के पीछे कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे है. राजनीतिक जानकरों का मानना है कि त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में पूर्वोत्तर में संघ का कार्यक्रम काफी महत्वपूर्ण है.

नागालैंड सरकार में बीजेपी सहयोगी दल है. दो साल पहले 2015 में कांग्रेसी विधायकों ने पार्टी से बगावत करके बीजेपी का दामन थाम लिया था. नागा पीपुल्स फ्रंट और बीजेपी के गठबंधन की सरकार हो गई थी. इसी साल विधानसभा चुनाव है, जबकि वहीं मेघालय ईसाई समुदाय के बाहुल्य क्षेत्र है. त्रिपुरा में लेफ्ट का मजबूत किला है. संघ इन पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी की जमीन तैयार करने का काम कर रहा है. संघ के चलते ही बीजेपी असम की सत्ता पर विराजमान हुई है.

आरएसएस का आदिवासी क्षेत्रों में पर्याप्त आधार है. बीजेपी ने मजबूत संगठनात्मक आधार बनाया है. संघ संबद्ध संगठन राज्य में स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा क्षेत्र में काम कर रहा हैं. इसी मजबूत आधार के जरिए बीजेपी पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपनी जड़ें जमाना चाहती है. 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट की सीटों को टारगेट किया है. ऐसे में संघ की बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है.

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