राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने इशारों-इशारों में भारत की ओर सिर उठा रही विदेशी ताकतों का जिक्र करते हुए इजराइल से सीख लेने की नसीहत दी है.
मध्य प्रदेश के सागर में RSS के शिविर के समापन मौके पर रविवार को भागवत ने कहा, 'हमारे देश को आजादी मिलने के साथ एक और देश अस्तित्व में आया था, वह था इजराइल. हमारे देश के पास हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन है, मगर उस देश के पास नम भूमि नहीं है, जो भी भूमि है, वह है रेगिस्तान.'
मोहन भागवत ने आगे कहा कि सारी दुनिया में जगह-जगह भटक रहे यहूदी लोग अपना सबकुछ त्याग करके बसने के लिए साल 1948 में इजराइल पहुंचे. जब वे वहां पहुंचे, तब उनके पास कुछ नहीं था. जिस दिन वहां की नई संसद में देश की आजादी की घोषणा की जा रही थी, उसी समय आसपास के आठ देशों की सेनाओं ने मिलकर उस पर हमला कर दिया. यह हमला तब हुआ, जब वहां की संसद में स्वतंत्रता का भाषण चल रहा था.
भागवत ने बताया कि उसके बाद इन देशों से इजराइल को पांच लड़ाइयां लड़नी पड़ीं. उन्होंने कहा, 'आज कहां खड़ा है यह देश? रेगिस्तान वाला यह देश दुनिया का नंबर एक देश बन गया है. आज हाल यह है कि कम पानी वाली खेती का तंत्र सीखने के लिए हमारे देश के लोग वहां जाते हैं.'
आरएसएस प्रमुख ने कहा, 'इतना ही नहीं, वह अपने कई प्रोडक्ट दुनिया को निर्यात करता है. उसने कई लड़ाइयां लड़ीं और जीती भी. हर बार अपनी सीमा का विस्तार किया. जब यह देश बना था, तब से आज उसका क्षेत्रफल डेढ़ गुना है और दुनिया के सामने सिर उठाकर खड़ा है.'
मोहन भागवत ने आगे कहा कि इजरायली और यहूदी की तरफ किसी में तिरछी नजर करके देखने का साहस नहीं है और जो ऐसा करता है, उसकी आंख फूट जाती है. यह उसकी सामर्थ्य की बात है. उन्होंने कहा, 'उसकी तुलना में हमारे पास हजारों वर्ग किलोमीटर लंबी भूमि है और करोड़ों की जनसंख्या है. स्वतंत्रता का उत्साह सबके मन में है, उसके बाद भी हम कहां खड़े हैं, यह विचारणीय है.'
---इनपुट IANS से