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आरक्षण के साथ खड़ा संघ, अंतरजातीय विवाह को भी समर्थन

विज्ञान भवन में आयोजित संघ के कार्यक्रम 'भविष्य का भारत' में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर से लेकर कश्मीर समेत कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी. 

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संघ के कार्यक्रम में लोगों के सवालों के जवाब देते मोहन भागवत
संघ के कार्यक्रम में लोगों के सवालों के जवाब देते मोहन भागवत

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के 'भविष्य का भारत-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' कार्यक्रम के अंतिम दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने लोगों के सवालों के जवाब दिए. प्रश्नोत्तर के इस सेशन में भागवत ने कश्मीर से लेकर राम मंदिर, हिंदुत्व, आरक्षण और गोरक्षा तक पर संघ के विचार रखे. पिछले दो दिनों के दौरान 25 विषयों से संबंधित कुल 215 सवाल मिले थे, जिनका संघ प्रमुख ने एक-एक कर जवाब दिया.

हिंदुत्व कहें या हिंदुइज्म

विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख से पहले सवाल में पूछा गया था कि क्या हिंदुत्व को हिंदुइज्म कहा जा सकता है? इसके जवाब में भागवत ने कहा, हिंदुइज्म गलत शब्द है. सत्य की अनवरत खोज का नाम हिंदुत्व है. सतत चलने वाली प्रक्रिया है. इसलिए हिंदुइज्म नहीं कहना चाहिए. हिंदुत्व ही है जो सबके साथ तालमेल का आधार हो सकता है. भारत में रहने वाले लोग हिंदू ही हैं. कुछ लोग हिंदुत्व के बारे जानते हैं, लेकिन बोलने में संकोच करते हैं. कुछ लोग नहीं जानते हैं. भारत में कोई परायापन नहीं, परायापन हमने ही बनाया है.

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अंतरजातीय विवाह को समर्थन

दूसरे सवाल में अतंरजातीय विवाह के बारे में पूछा गया. इसके बारे में भागवत ने कहा कि अंतरजातीय विवाह का हम समर्थन करते हैं. मानव-मानव में भेद नहीं करना चाहिए. भारत में संघ के स्वयंसेवकों ने सबसे ज्यादा अंतरजातीय विवाह किया है. समाज को अभेद दृष्टि से देखना जरूरी है. इससे हिंदू समाज नहीं बंटेगा. इसलिए हम सभी हिंदुओं को संगठित करने का प्रयास कर रहे हैं. जाति व्यवस्था के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में भागवत ने इसे कुव्यवस्था बताया और उसे दूर करने पर जोर दिया.

शिक्षा में शामिल हो रामायण, महाभारत

क्या रामायण, महाभारत को देश की शिक्षा में शामिल करना चाहिए? इसके जवाब में भागवत ने कहा, अपनी परंपरा के मुताबिक नई शिक्षा नीति बनानी चाहिए. नई शिक्षा नीति आने वाली है, उम्मीद है उसमें हमारी परंपरा समाहित होगी. ग्रंथों का अध्ययन शिक्षा में अनिवार्य है, ऐसा संघ का मत है.

हिंदी कब बनेगी देश की भाषा

एक सवाल पूछा गया कि नीति नियामक संस्थाओं में अंग्रेजी का प्रभुत्व है और हिंदी देश की भाषा कब बनेगी. इसके जवाब में भागवत ने कहा, अंग्रेजी हमारे मन में है, नीति नियामक में नहीं. मातृभाषाओं को सम्मान देना शुरू करें. अपनी भाषा का पूरा ज्ञान हो. किसी भाषा से शत्रुता नहीं करनी चाहिए. अंग्रेजी हटाओ नहीं, यथास्थान रखो. देश की उन्नति के नाते हमारी राष्ट्रभाषा को स्थान मिले, यह जरूरी है.

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गोरक्षा और मॉब लिंचिंग

गोरक्षा और इससे जुड़ी हिंसा पर एक सवाल के जवाब में संघ प्रमुख ने कहा कि गोरक्षा में जुड़े लोगों को मॉब लिंचिंग से जोड़ना ठीक नहीं है. गोरक्षा कैसे होगी, इस पर भागवत ने कहा, किसी प्रश्न पर हिंसा करना अपराध है और उस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए परंतु गाय परंपरागत श्रद्धा का विषय है. अपने देश में अर्थायाम का आधार गाय बन सकती है. गोरक्षा होनी चाहिए. संविधान का यह मार्गदर्शक तत्व भी है. गाय को रखना जरूरी है. खुला छोड़ देंगे तो घटनाएं होंगी. गोरक्षा के कार्य को प्रोत्साहन मिलना चाहिए. गो तस्करों के हमले पर आवाज नहीं उठाई जाती. यह दोगली प्रवृत्ति हमें छोड़नी चाहिए.

आरक्षण के साथ खड़ा संघ

सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए संविधान में जहां जितना आरक्षण दिया गया है, संघ का उसका समर्थन रहेगा. आरक्षण कब तक चलेगा, इसका निर्णय वही करेंगे जिनके लिए आरक्षण तय किया गया है. सामाजिक विषमता हटाकर सबके लिए बराबरी हो, इसलिए संविधान में प्रावधान किया गया है. इसलिए संविधान प्रदत्त सभी आरक्षणों को संघ का पूरा समर्थन है और रहेगा. आरक्षण समस्या नहीं, आरक्षण की राजनीति समस्या है.

एससी/एसटी कानून पर राय

एससी/एसटी कानून के बारे में भागवत ने कहा कि अत्याचार दूर करने के लिए एक कानून बना, यह अच्छी बात है, लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. उसका दुरुपयोग होता है इसलिए संघ मानता है कि उस कानून को ठीक से लागू करना चाहिए और उसका दुरुपयोग रोकना चाहिए. ये सिर्फ कानून से नहीं होगा. समाज की समरसता की भावना इसमें काम करती है. सदभावना जागृत करने की बहुत आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा और सरकार ने क्या किया, मैं इस बारे में कुछ नहीं बोलूंगा. संघ की इच्छा यह है कि कानून का संरक्षण हो, उसका दुरुपयोग न हो.

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समलैंगिकता पर जवाब

समाज में कुछ लोगों में (समलैंगिकता) है. ऐसे लोग समाज के अंदर ही हैं, इसलिए उनकी व्यवस्था समाज को करना चाहिए. मुद्दा बनाकर हो हल्ला करने से फायदा नहीं. समाज बहुत बदला है इसलिए समाज स्वस्थ रहे ताकि वे (समलैंगिक) अलग-थलग पड़कर गर्त में न गिर जाएं.

न रहे धारा 370 और 35 ए

भागवत ने कहा, धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए पर हमारे विचार सर्वोपरि हैं. ये दोनों नहीं रहना चाहिए, ये हमारा मत है.

जल्द बने राममंदिर

राम मंदिर पर अध्यादेश का मामला सरकार के पास है और आयोजन का मामला रामजन्म भूमि मुक्ति संघर्ष समिति के पास है और दोनों में मैं नहीं हूं. आंदोलन में क्या करना है, वह उच्चाधिकार समिति को तय करना है. अगर वह सलाह मांगेगी तो मैं बताउंगा. मैं संघ के नाते चाहता हूं कि राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर जल्द बनना चाहिए. भगवान राम अपने देश के बहुसंख्य लोगों के लिए भगवान हैं लेकिन वे केवल भगवान नहीं हैं. उनको लोग इमामे हिंद मानते हैं. इसलिए जहां राम जन्मभूमि है वहां मंदिर बनना चाहिए.

इससे पहले मोहन भागवत ने दो दिनों तक संघ के बारे में बताया कि संघ क्या काम करता है, संघ की विचारधारा क्या है, हिंदुत्व क्या है.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली में 'भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' नामक तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत संघ और हिंदुत्व के रिश्ते पर अपनी बात रखी. कार्यक्रम के दूसरे दिन मंगलवार को भागवत ने कहा कि हमारा कोई शत्रु नहीं है, न देश में और न ही विदेश में. हां, हम कई लोगों के शत्रु होंगे और उनसे अपने आपको बचाते हुए उन्हें अपने साथ लेकर चलना ही हिंदुत्व है. हम सबका संतुलित और समन्वय विकास करना चाहते हैं. हमारे यहां कहा गया है कि कमाना मुख्य नहीं है, उसको बांटना मुख्य है. हमारे हिंदुत्व के तीन आधार हैं- देशभक्ति, पूर्व गौरव और संस्कृति.

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