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मोहन भागवत के फर्जी अकाउंट से भड़काऊ टिप्पणी, कोर्ट ने FIR दर्ज करने को कहा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ जोधपुर की एससी-एसटी कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि अनुसूचित जाति और जनजाति को लेकर आपत्तिजनक बयान पोस्ट करने के कारण उन पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए.

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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)

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इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चित हस्तियों के नाम पर बनाए गए फर्जी अकाउंट के जरिए भड़काऊ बयान पोस्ट किए जा रहे हैं, और इसके गफलत में हो यह रहा है कि ऐसी चर्चित हस्तियों के खिलाफ लोग कोर्ट चले जा रहे हैं और उन्हें बदनामी का सामना करना पड़ रहा है. इसके नए शिकार बने हैं आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ जोधपुर की एससी-एसटी कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि अनुसूचित जाति और जनजाति को लेकर आपत्तिजनक बयान पोस्ट करने के कारण उन पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए. कोर्ट ने स्थानीय उदयमंदिर पुलिस स्टेशन को निर्देश दिया कि वह भागवत के खिलाफ मामला दर्ज करे.

सोशल मीडिया पर नहीं हैं भागवत

चूंकि मोहन भागवत सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं हैं, लेकिन उनके नाम पर फेसबुक पर बने पैरोडी अकाउंट के जरिए कई आपत्तिजनक बयान पोस्ट किए गए हैं. जोधपुर कोर्ट ने ऐसी आपत्तिजनक और जातिगत टिप्पणी करने वाले दोषियों के खिलाफ पुलिस से एफआईआर दर्ज करने को कहा है, ऐसे में आरएसएस प्रमुख के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनेगा क्योंकि यह उनका आधिकारिक अकाउंट नहीं है.

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राजस्थान के पाली के रहने वाले नरेंद्र कुमार ने जातिगत टिप्पणी करने वालों के खिलाफ केस दर्ज करने की गुहार लगाई थी, जिसमें मोहन भागवत समेत कई अन्य लोगों के नाम दिए गए थे.

हार्दिक पांड्या भी बने फर्जी अकाउंट के शिकार

इससे पहले भारतीय क्रिकेटर हार्दिक पांड्या के साथ भी यह वाकया हो चुका है. पिछले हफ्ते भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर पर आपत्तिजनक ट्वीट को लेकर टीम इंडिया के स्टार ऑलराउंडर हार्दिक के खिलाफ राजस्थान कोर्ट ने 21 मार्च को जोधपुर पुलिस को FIR दर्ज करने का आदेश दिया था. लेकिन, बाद में पता चला है कि वह ट्वीट क्रिकेटर हार्दिक पंड्या के वेरिफाइड अकाउंट से नहीं बल्कि उनके नाम से किसी फर्जी अकाउंट से किया गया था.

तब सोशल मीडिया में आलोचना के बाद हार्दिक पांड्या को अपनी सफाई देनी पड़ी थी. इस मामले में हार्दिक ने ट्वीट कर पूरे मामले को साफ किया. उनके अनुसार कई जगह यह गलत खबर चल रही है कि अंबेडकर के खिलाफ उन्होंने आपत्तिजनक ट्वीट किए थे. उन्होंने साफ किया कि यह ट्वीट उनकी तरफ से नहीं बल्कि फेक अकाउंट से किया गया है.

हार्दिक ने कहा कि उनके मन में अंबेडकर और अपने संविधान के लिए काफी सम्मान है. साथ ही वे ऐसी कोई बात नहीं कह सकते जिससे किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचे. वे इस मामले में कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे. हार्दिक के अनुसार वे कोर्ट को बताएंगे कि यह ट्वीट किसी और के द्वारा किया गया है और इससे उनकी इमेज को भी ठेस पहुंचाने की कोशिश हुई है. ऐसा आजकल कई फेमस लोगों के साथ किया जा रहा है.

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फेक हैंडल से ट्वीट

हार्दिक पंड्या पर FIR दर्ज करने के लिए कोर्ट पहुंचने वाले एडवोकेट डीआर मेघवाल ने बताया था कि क्रिकेटर हार्दिक ने कुछ महीने पहले Twitter पर एक पोस्ट डालकर बीआर अंबेडकर के खिलाफ काफी अपशब्द कहे थे. मेघवाल ने कहा कि इस मामले में वह पहले लूणी पुलिस थाने में FIR कराने के लिए गए थे, लेकिन लूणी थानेदार ने FIR करने से इनकार कर दिया था.

मेघवाल ने कहा कि इस मामले में वह पहले लूणी पुलिस थाने में FIR कराने के लिए गए थे, लेकिन लूणी थानेदार ने FIR करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने बताया कि थानेदार का कहना था कि वह इतने बड़े क्रिकेट खिलाड़ी के खिलाफ FIR दर्ज नहीं कर सकते. इसके बाद वह अदालत पहुंचे और इस्तगासा पेश किया जिस पर कोर्ट में सुनवाई करते हुए हार्दिक के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया. इसी सिलसिले में पांड्या के खिलाफ के खिलाफ जोधपुर की अदालत में SC-ST एक्ट के तहत इस्तगासा पेश किया गया था.

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