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'भविष्य का भारत' में मोहन भागवत की ये हैं 10 प्रमुख बातें

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 'भविष्य का भारत-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' के अंतिम दिन कई विषयों पर जवाब के जरिए अपनी बात कही. उनसे 215 सवाल पूछे गए थे जिसमें उन्होंने कई विषयों पर बेबाकी से जवाब दिया.

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संघ प्रमुख मोहन भागवत (ट्विटर)
संघ प्रमुख मोहन भागवत (ट्विटर)

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम 'भविष्य का भारत-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' के अंतिम दिन कई विषयों पर जवाब के जरिए अपनी बात कही. उनसे 215 सवाल पूछे गए थे जिसमें उन्होंने कई विषयों पर बेबाकी से जवाब दिया.

भविष्य का भारत कार्यक्रम के समापन के दौरान भागवत की ओर से कही गई 10 अहम बातें.

1. गोरक्षा और मॉब लिंचिंग पर संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि जब गो तस्कर हमला करते हैं और हिंसा में संलिप्त होते हैं, तो इस पर कोई आवाज नहीं उठाता. हमें इस दोहरे मापदंड से बचना चाहिए.

2. जम्मू-कश्मीर में लागू विवादित अनुच्छेद 370 और 35 ए पर भागवत ने कहा कि इस बारे में हमारे विचार सर्वपरिचित हैं. हम उनको नहीं मानते, वो नहीं रहना चाहिए, ऐसा हमारा मत है.

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3. राम मंदिर के मामले पर मोहन भागवत ने कहा कि मेरा मानना है कि राम जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर बनाना चाहिए. अगर यह आम सहमति से बनता है तो इससे हिंदू-मुस्लिम में जो विवाद है उसमें कमी आएगी.

4. जनसांख्यिकी संतुलन और घटती हिंदू आबादी के बारे में संघ प्रमुख ने कहा कि जनसंख्या पर एक नीति तैयार की जानी चाहिए. अगले 50 वर्षों में देश की संभावित आबादी और इस संख्या बल के अनुरूप संसाधनों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.

5. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत में रहने वाले लोग हिंदू ही हैं. कुछ लोग हिंदुत्व के बारे जानते हैं, लेकिन बोलने में संकोच करते हैं. कुछ लोग नहीं जानते हैं. भारत में कोई परायापन नहीं, परायापन हमने ही बनाया है.

6. संघ और राजनीति पर बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हमने एक नीति का समर्थन जरूर किया और हमारी नीति का समर्थन करने का लाभ जैसे हमारी शक्ति बढ़ती है वैसे राजनीतिक दलों को मिल सकती है, जो इसका लाभ ले सकते हैं वो ले जाते हैं.

7. आरक्षण का समर्थन करते हुए भागवत का कहना है कि आरएसएस सामाजिक असंतुलन को खत्म करने के लिए संविधान की ओर से प्रदत्त आरक्षण की सुविधा को मानता और समर्थन करता है. आरक्षण बुरा नहीं है, लेकिन आरक्षण पर राजनीति समस्या खड़ा करती है.

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8. संघ की आंतरिक कार्यप्रणाली पर बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हम हर साल आतंरिक स्तर पर ऑडिट करते हैं. मैं महज मित्र, गाइड और दार्शनिक हूं. सरकार्यवाह आरएसएस का सीईओ की तरह होता है. मैं कब तक संघ प्रमुख रहूंगा, ये मैं तय करूंगा और मैं ही अगला प्रमुख तय करूंगा.

9. अतंरजातीय विवाह पर भागवत ने कहा कि अंतरजातीय विवाह का हम समर्थन करते हैं. मानव-मानव में भेद नहीं करना चाहिए. भारत में संघ के स्वयंसेवकों ने सबसे ज्यादा अंतरजातीय विवाह किए हैं.

10. हिंदी की दुर्दशा पर भागवत ने कहा कि अंग्रेजी हमारे मन में है, नीति नियामक में नहीं. मातृभाषाओं को सम्मान देना शुरू करें. अपनी भाषा का पूरा ज्ञान हो. किसी भाषा से शत्रुता नहीं करनी चाहिए. अंग्रेजी हटाओ नहीं, यथास्थान रखो.

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