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संघ प्रमुख मोहन भागवत ने की मोदी सरकार की तारीफ, अंबेडकर की तुलना शंकराचार्य से

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर में शंकराचार्य और भगवान बुद्ध के गुण थे. नागपुर में संघ की ओर से आयोजित दशहरा उत्सव में बोलते हुए उन्होंने कहा कि समाज को एक दूसरे का पूरक बनना है.

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संघ प्रमुख मोहन भागवत
संघ प्रमुख मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर में शंकराचार्य और भगवान बुद्ध के गुण थे. नागपुर में संघ की ओर से आयोजित दशहरा उत्सव में बोलते हुए उन्होंने कहा कि समाज को एक दूसरे का पूरक बनना है.

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कार्यक्रम में भागवत ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि आज देश में विश्वास का माहौल है. दुनिया में भारत का सम्मान. मोदी सरकार ने पूरी दुनिया में भारत की साख मजबूत की है. सरकार के प्रयासों की वजह से ही योग और गीता की दुनिया भर में चर्चा है. उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया का सिरमौर बनाना है.

सबसे विश्वस्त देश के रूप में भारत की छवि
संघ प्रमुख ने कहा कि दुनिया में भारत नए रूप में उभर रहा है. जब भी कहीं विपत्ति आती है तो भारत मदद के लिए आगे बढ़ता है. अब दुनिया को भारत से अपेक्षाएं हैं. भारत ने हमेशा सभी संस्कृतियों से गहरा नाता और स्नेह रखा है. उन्होंने कहा कि सारी दुनिया से अच्छे विचार लेना हमारी परंपरा रही है और हमें अपना विकास अपने मूल्यों पर करना है. हमारा विकास समन्वय पर आधारित है. आज भारत की छवि दुनिया के सबसे विश्वस्त देश के रूप में बनी है.

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नीति आयोग की भी तारीफ की
नीति आयोग की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि आयोग का घोषणा पत्र देश के विकास की रूपरेखा तय करता है. सभी की सहभागिता से ही विकास संभव है. हमें सभी धर्मों को जोड़कर चलना होगा और धर्म से सभी काम अनुशासित हों. धर्म से त्याग और संयम आता है. उन्होंने कहा कि देश की जनसंख्या बढ़ रही है. इसलिए देश को 70 फीसदी उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है.

यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि विरासत में मिली समस्याओं को ठीक करने और विकास की राह पर देश को आगे ले जाना में थोड़ा समय लगेगा. इसके लिए जनता और प्रतिनिधियों के बीच बातचीत होना भी जरूरी है.

आरक्षण व्यवस्था को लेकर अंबेडकर की तारीफ
भागवत ने अंबेडकर की ओर से सुझाई गई आरक्षण व्यवस्था की तारीफ करते हुए कहा कि अंबेडकर, स्वतंत्र भारत के संविधान में आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से उस विषमता को निर्मूल्य कर समता के मूल्यों की स्थापना करने वाले प्रावधान कर के गए हैं.

शिक्षा व्यवस्था पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अगर सभी को शिक्षित बनाना है तो हमे शिक्षा के बाजारीकरण को रोकना होगा. सरकार को हर स्तर पर निगरानी रखने की भी जरूरत है.

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