इन दिनों सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत बांसुरी वादन कर रहे हैं. यह वीडियो 15 अगस्त के समय सोशल मीडिया में खूब चला था, लेकिन अब फिर से चर्चा में है.
प्रख्यात लोकगीत गायिका मालिनी अवस्थी ने शुक्रवार को इस वीडियो को ट्वीट करते हुए पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, 'सरसंघचालक मोहन भागवत जी का बांसुरी वादन सुन सुखद अनुभूति हुई! संगीत के प्रति यह सम्मान आदरणीय है! महायोगी कृष्ण के एक हाथ में चक्र दूसरे हाथ में वंशी थी!
-ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए थे, उनकी ज़रा याद करो क़ुर्बानी.'
मालिनी ने इस ट्वीट में लता मंगेशकर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के ट्विटर हैंडल को टैग भी कर दिया.सरसंघचालक मोहन भागवत जी का बांसुरी वादन सुन सुखद अनुभूति हुई! संगीत के प्रति यह सम्मान आदरणीय है!महायोगी कृष्ण के एक हाँथ में चक्र दूसरे हाँथ में वंशी थी!
-ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आंख में भर लो पानी,
जो शहीद हुए थे, उनकी ज़रा याद करो क़ुर्बानी। @mangeshkarlata
Advertisement#संगीत @RSSorg pic.twitter.com/mjC3KjPH2i
— Malini Awasthi (@maliniawasthi) August 24, 2018
हालांकि इस वीडियो में बांसुरी बजाते जो शख्स दिख रहे हैं वो आरएसएस प्रमुख भागवत नहीं हैं. उनकी शक्ल से मिलता-जुलता कोई और है.
भागवत नहीं
इसी पोस्ट पर कई लोगों ने ट्वीट कर बताया कि ये संघ प्रमुख भागवत नहीं हैं, बल्कि आरएसएस के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल जी ओक हैं. अनिल बांसुरी वादन में सिद्धहस्त हैं. अनिल उज्जैन के रहने वाले हैं.
मालिनी जी, ये बांसुरीवादक सर संघचालक श्री मोहन भागवत जी नही हैं वरन RSS से ही संबंधित श्री अनिल ओक जी हैं जो वर्तमान में कानपुर में संघ के अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख हैं और मध्यप्रदेश के उज्जैन के रहने वाले हैं, आपकी ही तरह कई लोग श्री ओक को संघ प्रमुख समझ लेते हैं।
— rajesh k chaubey (@chaubeyrk) August 24, 2018
भागवत का पैरोडी ट्विटर अकाउंट
इसी से मिलता-जुलता एक मामला मार्च में सामने आया था जब संघ प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ जोधपुर की एससी-एसटी कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया था कि अनुसूचित जाति और जनजाति को लेकर आपत्तिजनक बयान पोस्ट करने के कारण उन पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए.
जबकि मोहन भागवत सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं हैं, लेकिन तब उनके नाम पर फेसबुक पर बने पैरोडी अकाउंट के जरिए कई आपत्तिजनक बयान पोस्ट किए गए थे. जोधपुर कोर्ट ने ऐसी आपत्तिजनक और जातिगत टिप्पणी करने वाले दोषियों के खिलाफ पुलिस से एफआईआर दर्ज करने को कहा था. हालांकि आरएसएस प्रमुख का कोई ट्वीटर पर आधिकारिक अकाउंट नहीं था और इस केस में उनका कोई मामला नहीं बना.