बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में मोदी का नाम आगे करने की खबरों से इनकार करते हुए आरएसएस नेता एम जी वैद्य ने कहा कि इस संबंध में प्रस्ताव बीजेपी की ओर से आया और संघ ने अपनी सहमति दी.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) तय नहीं करता कि कौन प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद या विधायक होगा. जब भी कोई विवाद उत्पन्न होता है तब संघ केवल सुझाव देता है और वह भी तब जब सुझाव मांगा जाता है.
आरएसएस नेता ने उन खबरों से भी इनकार किया कि संघ ने 1949 में उस समय राजनीति में प्रवेश नहीं करने का वायदा किया था जब उस पर से प्रतिबंध हटाया जा रहा था.
उन्होंने कहा, 'जहां तक नरेन्द्रभाई मोदी के चयन का सवाल है, यह प्रस्ताव बीजेपी की ओर से आया होगा और संघ ने सहमति दी होगी. अगर किसी निर्णय पर विचारों में मतभेद सामने आता है, तब संघ से मदद मांगी जाती है. बस यही है.'
संघ के मुखपत्र ‘आर्गेनाइजर’ में वैद्य ने अपने लेख में कहा 'संघ यह तय नहीं करता कि कौन सांसद, विधायक या प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री होगा. संघ की केवल एक ही चिंता होती है कि सरकार राष्ट्रहित में काम करे. राष्ट्र, सरकार, जीवन से जुड़ी प्रत्येक गतिविधि से बड़ा होता है.' उन्होंने यह भी दावा किया कि 1949 में संघ से प्रतिबंध हटाने से पहले उसने सरकार से ऐसा कोई वायदा नहीं किया था कि वह राजनीति में कभी प्रवेश नहीं करेगा.
आएसएस नेता का यह बयान एक महिला पत्रकार के लेख 'द फॉरगोटेन प्रोमिस ऑफ 1949' का प्रतिकार करता है.
उन्होंने कहा, 'तथ्य यह है कि कोई ऐसा कोई वायदा नहीं किया गया था. देश की कोई शक्ति किसी व्यक्ति या समूह को राजनीति में प्रवेश करने से नहीं रोक सकती है. राजनीतिक दल बनाने के लिए किसी को सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.'