इंडिया आइडिया कॉन्क्लेव 2016 में आरएसएस सयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि भारत का मूल्याकन आज़ादी के बाद के 70 साल में नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि प्रजातंत्र में चर्चा हो इसकी सबसे ज्यादा जगह होनी चाहिए.
दत्तात्रेय होसबोले ने इसके बाद कहा कि हमारा इतिहास बताता है कि 5 हजार साल पहले कुरुक्षेत्र में भी संवाद और चर्चा हुई थी. लेकिन अब मीडिया और बौद्धिक वर्ग ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर राष्ट्रीय सहमति बनाने की बजाए उसमें मतभेद को गहराने का काम करता है. हमारे टेलीविजन के बहस के कार्यक्रमों में शोरगुल होता है मगर संवाद नहीं होता. आम सहमति प्रजातंत्र के मूल में है.
दत्तात्रेय होसबोले से महिलाओं के अधिकार और ट्रिपल तालक के बारे में आरएसएस की राय स्पष्ट करते हुए कहा कि संघ महिलाओं और पुरूषों में भेदभाव नहीं करता. उन्होंने ये भी कहा संघ महिलाओं में धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करता है. उन्होंने ने कहा कि संघ का सिर्फ इतना ही मानना है कि पुरुष और स्त्री में जितना अंतर प्रकृति ने बनाया, उतना ही है.
दूसरी तरफ दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि लोकतंत्र में असहमति की जगह है लेकिन असहमति के विरोध को असहिष्णुता नहीं कहा जा सकता. उन्होंने ये भी कहा कि किसी बात का विरोध सिर्फ इस बात के लिए नहीं किया जाना चाहिए, विरोध करना है बल्कि तार्किक विरोध का हमेशा सम्मान होता है.
वहीं इंडिया आइडिया कॉन्क्लेव में मौलाना महमूद मदनी ने कहा कुछ लोग हैं जो मुसलमानों के बारे में भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं उनको ग्राउंड रियलिटी के बारे में कोई जानकारी नहीं है. महमूद मदनी ने भारत में रहने वाले मुसलमानों के बारे में कहा कि भारत में रहना चाहते हैं इसलिये यहां रहते हैं न की बाई चांस. स्वागत और आलोचना के साथ वो यहां ही रहना चाहते हैं. अब ये देश को तय करना है कि वो उपयोगी हैं या उनके ऊपर बोझ.
महमूद मदनी ने ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर कहा कि इस पर चर्चा होनी चाहिए इसलिए हम अजमेर शरीफ में एक बैठक करेंगे और फैसला करेंगे की निकाह से पहले एक समझौता लड़के और लड़की के बीच में किया जाना चाहिए, तलाक इतना सरल नहीं हो.