देश के ईसाईयों को आरएसएस की विचारधारा के करीब लाने के लिए संघ की कोशिशें अगले दो तीन-महीने में परवान चढ़ने वाली हैं. दरअसल मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की तर्ज पर आरएसएस अपने बैनर तले ईसाई राष्ट्रीय मंच बनाने के लिए काफी समय से ईसाई धर्मगुरुओं और ईसाई संगठनों के संपर्क में है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की ही तरह ईसाई राष्ट्रीय मंच बनाने की जिम्मेदारी भी आरएसएस ने इन्द्रेश कुमार को दी है.
संघ की विचारधारा से जोड़ना है उद्देश्य
असल में संघ का मानना है कि भारत में रहने वाले सभी लोग इंडियन ओरिजिन के हैं, चाहे वो किसी भी धर्म को मनाने वाले हों. सन् 2002 में संघ प्रमुख के.सी. सुर्दशन ने कहा था इसलिए हमें मुस्लिम और ईसाई समाज के राष्ट्रवादी सोच रखने वाले लोगों को संघ की विचारधारा के साथ लेकर देश हित में काम करने चाहिए.
घर वापसी अभियान की नहीं आएगी नौबत
ईसाई राष्ट्रीय मंच की जमीन तैयार करने को लेकर ईसाई धर्मगुरुओं और ईसाई संगठनों की आरएसएस नेता इन्द्रेश कुमार से कई दौर की बात भी हो चुकी है. पहले संघ के अंदर ही इसका यह कहकर विरोध हुआ था कि इससे धर्मांतरण को लेकर ईसाई मिशनरियों के खिलाफ संघ के आंदोलन पर असर पड़ेगा. लेकिन इन्द्रेश कुमार संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर सभी बड़े नेताओं को ये समझाने में कामयाब रहे कि अगर ईसाई राष्ट्रीय मंच बना तो ईसाई समुदाय के लोगों के साथ आने से ईसाई मिशनरियों की तरफ से कराए जा रहे धर्मांतरण पर काफी हद तक रोक लग जाएगी और इसके बाद घर वापसी के कार्यक्रम चलाने की नौबत नहीं आएगी.
धर्मांतरण रोकने के अभियान को मिलेगा बल
इसके साथ ही आरएसएस लंबे समय से आदिवासियों का धर्मांतरण रोकने के लिए वनवासी कल्याण आश्रम जैसे संगठन चलाता है. ऐसें में संघ का मानना है कि अगर आरएसएस ईसाई नेताओं और धर्मगुरुओं को साथ लेकर चले तो धर्मांतरण रोकने के आंदोलन को और ज्यादा बल मिलेगा. इन सब तर्कों के बाद ही जैसे तैसे संघ के अंदर विरोध शांत हुआ.
आरएसएस और ईसाई मिशनरियों के बीच दीवारें
दरअसल आरएसएस और ईसाई मिशनरियों में छत्तीस का आंकड़ा रहा है. आरएसएस ईसाई मिशनरियों पर विदेशी चंदे की बदौलत देश में हिदुओं खासतौर से आदिवासियों और गरीबों को लालच देकर धर्मांतरण कराने का आरोप लगाता रहा है. नॉर्थ ईस्ट, ओडिशा, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में तो संघ लंबे अरसे से ईसाई मिशनरियों के खिलाफ आंदोलन चलाता आ रहा है. कई बार हिंसक झड़पे भी हुई और संघ और बजरंग दल पर चर्चों में तोड़-फोड़ करने का आरोप भी लगा.
ईसाईयों के कई कार्यक्रमों में पहुंचे इन्द्रेश कुमार
इन्द्रेश कुमार ने पिछले 2015 से लेकर अभी तक नागालैंड, असम, सिक्किम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और ओडिशा समेत कई राज्यों में ईसाई मिशनरी और उनके संगठनों के कई कार्यकर्मों में मंच साझा किया. इन मंचों के जरिए इन्द्रेश कुमार ने ईसाई मिशनरी और ईसाई समाज के संगठनों को संघ की विचारधारा से परिचित कराया और ये बताया कि संघ की विचारधारा ईसाई समाज के खिलाफ नहीं है.
ईसाईयों को बीजेपी के करीब लाना उद्देश्य
लेकिन संघ की इस कोशिश के राजनीतिक मायने भी हैं. दरअसल संघ ईसाई समुदाय को बीजेपी के करीब लाना चाहता है. नॉर्थ ईस्ट के राज्यों और दक्षिण भारत के कई राज्यों में ईसाई समुदाय चुनाव में हार-जीत का फैसला करते हैं. ऐसे में इस समुदाय को संघ के माध्यम से बीजेपी के करीब लाने की कोशिशे जारी हैं ताकि दक्षिण भारत और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में बीजेपी अपनी पकड़ बना सके. केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद इस कोशिश में तेजी आई हैं.
मोदी सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाएगा आरएसएस
दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान गुजरात से मुस्लिम कार्यकर्ताओं के एक दल ने बनारस में मोदी के पक्ष में प्रचार किया था. जिससे मुस्लिमों के वोट भले बीजेपी को नहीं मिलें हो पर संदेश अच्छा गया. बीजेपी के पक्ष में ऐसी ही कोशिश अब ईसाइयों को लेकर करने की है. केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद संघ ने अपने भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के एजेंडा पर काम शुरू कर दिया है. देखना है कि मोदी सरकार के 'सबका साथ सबका विकास' के एजेंडा के साथ संघ का ये एजेंडा कैसे आगे बढ़ता है.