अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के बाहर चर्चा का विषय बना है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम के आखिरी दिन यानी बुधवार को देश के कई अहम मसलों पर अपनी राय रखी. उन्होंने आरक्षण, एससी-एसटी कानून से लेकर समलैंगिकता और गोरक्षा जैसे मुद्दों पर भी संघ का दृष्टिकोण साझा किया. इस दौरान मोहन भागवत ने भगवान राम को इमाम-ए हिंद करार देते हुए अयोध्या में जल्द राम मंदिर निर्माण की इच्छा जताई.
राम मंदिर का मुद्दा फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. ऐसे में जब मोहन भागवत से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने राम जन्मभूमि पर जल्द ही भव्य राम मंदिर बनने की चेष्टा जाहिर की. उन्होंने कहा, 'मैं सरसंघचालक के नाते चाहता हूं कि राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर जल्द बनना चाहिए. भगवान राम अपने देश के बहुसंख्य लोगों के लिए भगवान हैं लेकिन वे केवल भगवान नहीं हैं. उनको लोग इमाम-ए हिंद मानते हैं. इसलिए जहां राम जन्मभूमि है वहां मंदिर बनना चाहिए.'
मोहन भागवत ने उन कोशिशों पर भी टिप्पणी की है, जिसके तहत ये आवाज उठती रही है कि अगर सुप्रीम कोर्ट से रास्ता नहीं निकल पाता है तो मोदी सरकार अध्यादेश लाकर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण सुनिश्चित करे. इस पर भागवत ने कहा कि यह अधिकार सरकार के पास है और मैं सरकार में नहीं हूं. लेकिन अगर ऐसा कोई कानून आता है तो इस बात को भी देखना होगा कि क्या उसे चैलेंज नहीं किया जाएगा.
हिंदू-मुसलमान का झगड़ा हो जाएगा खत्मवहीं, आगे उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों में राम की आस्था जुड़ी है. जहां राम की जन्मभूमि थी, वहां मंदिर पहले था यह लेजर किरणों से देखा गया है. अगर मंदिर बन गया तो हिंदू और मुसलमानों के बीच झगड़े का एक बड़ा कारण कम हो जाएगा. इसके आगे उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगर राम मंदिर निर्माण सद्भाव से होता है तो मुसलमानों की ओर जो बार-बार उंगली उठती है, उसमें बहुत कमी आ जाएगी. उन्होंने इसे देश के बड़े तबके की आस्था का मामला बताते हुए अंत में कहा कि जिस उपाय से भी मुमकिन हो, राम मंदिर का निर्माण जल्दी होना चाहिए.