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आईआईटी और IIM में होती हैं हिंदू विरोधी गतिविधियां: RSS

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' ने एफटीआईआई के नवनियुक्त प्रमुख गजेन्द्र चौहान को पद से हटाने के लिए संस्थान के छात्रों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन की निंदा करने के बाद IIT और IIM पर भी निशाना साधा है.

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गजेन्द्र चौहान  (फाइल फोटो)
गजेन्द्र चौहान (फाइल फोटो)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' ने एफटीआईआई के नवनियुक्त प्रमुख गजेन्द्र चौहान को पद से हटाने के लिए संस्थान के छात्रों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन की निंदा करने के बाद IIT पर भी निशाना साधा है. अपने लेख में FTII छात्रों को हिंदू विरोधी बताने के वाले ऑर्गनाइजर ने अब IIT और IIM जैसे संस्थानों को भी देश और हिंदू विरोधी करार दिया है.

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नियुक्तियां करने के सरकार के अधिकार को सही ठहराते हुए ऑर्गनाइजर में प्रकाशित लेख में कहा है कि बिना अवसर दिए खारिज करने के बजाय चौहान को अपनी योग्यता साबित करने का मौका दिया जाना चाहिए. लेख में कहा गया है, किसी भी अन्य बात से अधिक गजेन्द्र चौहान को उनकी विचारधारा के लिए निशाना बनाया जा रहा है.

'संविधान ने दिया है ये अधिकार'
महाभारत में युधिष्ठिर के रूप में चौहान के शानदार अभिनय को याद करते हुए लेख में कहा गया है, 'इस देश में हर किसी को संविधान में मिले अधिकार के तहत अपना विचार और विचारधारा रखने का अधिकार है. दक्षिण, वाम, मध्य, कांग्रेस या कोई अन्य, जब तक कि ऐसा करना राष्ट्रीय हितों के खिलाफ नहीं हो.'

ऑर्गनाइजर के मुताबिक, 'कामगारों को अधिक मजदूरी और कामकाज के बेहतर हालात की मांग करने का अधिकार है लेकिन उनमें से किसी को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि औद्योगिक कंपनी का कौन प्रबंध निदेशक हो और कौन मुख्य कार्यकारी अधिकारी हो. वरना लोकतंत्र भीड़तंत्र में तब्दील हो जाएगा जिससे देश में किसी का भला नहीं हो सकता.'

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प्रदर्शनकारी छात्रों पर साधा निशाना
प्रदर्शनकारी छात्रों पर कटाक्ष करते हुए लेख में कहा गया है, 'पुणे के फिल्म और टेलीविजन संस्थान ने देश में एकमात्र ऐसे संस्थान का दर्जा हासिल किया है जहां छात्रों के पास सरकार द्वारा नियुक्त संस्थान के प्रमुख की नियुक्ति को वीटो करने का अधिकार है. यह अनोखा शैक्षणिक संस्थान है जहां किसी व्यक्ति के परीक्षा में बैठने से पूर्व ही परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया जाता है.'

यूपीए सरकार की एक नियुक्ति का भी जिक्र
लेख में कहा गया है, 'क्या लोगों या छात्रों को उस नियुक्ति को सिरे से खारिज कर देना चाहिए जिसके लिए चयनित व्यक्ति को अपनी काबिलियत साबित करने का मौका ही नहीं दिया गया. यदि कोई व्यक्ति अपेक्षाओं पर खरा उतरने में नाकाम रहता है तो हर किसी को सरकार से उस व्यक्ति को बाहर का दरवाजा दिखाने की मांग करने का अधिकार है.' लेख में छत्तीसगढ़ में माओवादियों के साथ संबंध रखने के आरोपी बिनायक सेन को पिछली यूपीए सरकार द्वारा पूर्ववर्ती योजना आयोग की प्रतिष्ठित समिति में नियुक्त किए जाने का भी जिक्र किया गया है.

- इनपुट भाषा

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