आरएसएस से जुड़े संगठन राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी का विरोध किया है. मंगलवार को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के यूपी और उत्तराखंड के संयोजक ने मुसलमानों से अपील की कि वे बकरीद पर बेजुबान जानवरों का कत्ल न करें, बल्कि केक काटकर सांकेतिक तौर पर बकरीद मनाएं.
यूपी-उत्तराखंड के मुस्लिम मंच के प्रमुख राजा रईस खान ने कुरान और हदीस का हवाला देकर कहा, 'कहीं भी बकरीद पर किसी भी बेजुबान जानवर की कुर्बानी को हमारे पैगंबर ने नहीं कहा है. हमारे किसी पैगंबर ने किसी जानवर की कोई कुर्बानी नहीं की है बल्कि रहमत बरती है.'
जायज नहीं है कुर्बानी
बकरीद कुछ ही दिन बाद है, ऐसे में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की यह मुहिम एक सियासी मुद्दा बन सकती है. राजा रईस के मुताबिक जिस कुर्बानी का हवाला देकर बकरीद में जानवरों को काटा जाता है वो कभी हुआ ही नहीं. ये कुर्बानी तो रहमत का पर्व है, जहां कुर्बानी के बाद भी जिंदगी मिली है. खुद रसूल ने जब अपने बेटे की कुर्बानी देनी चाही तो अल्लाह ने उसे जिंदगी बख्शी. इसी प्रकार बकरीद के दिन बेजुबान पशुओं का बेहिसाब कत्ल कहीं से जायज नहीं है.
गाय की कुर्बानी इस्लाम के खिलाफ
मुस्लिम मंच ने गाय की कुर्बानी को इस्लाम के खिलाफ बताते हुए कहा कि कुरान में गाय काटने पर पाबंदी है. गाय पर तो हमारे हुजूर ने भी बंदिश लगा रखी है.
मुस्लिम मंच के प्रमुख ने बाकायदा रसूल की ज़िन्दगी, कुरान और हदीस के आईने में बताया कि जानवरों और पशु-पक्षियों पर रहमत की बात की गई है तो फिर बेज़ुबान जानवरों का आस्था के नाम पर कत्ल क्यों हो?
राष्ट्रीय मुस्लिम मंच चाहता है कि लोग बकरीद पर बेजुबान जानवरों के बेहिसाब कत्ल की बजाए दूध से बने केक आदि काटकर कुर्बानी दें. या अपनी सबसे अजीज चीजों की कुर्बानी दें. मंच ने कहा कि पिछले साल भी हमने केक काटकर बकरीद मनाई थी. इस साल भी हमारी अपील है कि किसी पशु की कुर्बानी न दें.