प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भले ही समय-समय पर कांग्रेस मुक्त भारत का नारा बुलंद करते हों लेकिन आरएसएस ने ये साफ कर दिया है कि वो इससे कतई सहमत नहीं है. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि कांग्रेस मुक्त भारत जैसे नारे राजनीतिक मुहावरे हैं और संघ इस भाषा का समर्थन नहीं करता.
पुणे में भागवत एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे. इसी दौरान उन्होंने कहा कि ये राजनीतिक नारे हैं. यह आरएसएस की भाषा नहीं है. मुक्त शब्द राजनीति में इस्तेमाल किया जाता है. हम किसी को छांटने की भाषा का कभी इस्तेमाल नहीं करते.
मोहन भागवत ने कहा कि हमें राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सभी लोगों को शामिल करना है. उन लोगों को भी जो हमारा विरोध करते हैं. फरवरी में संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वह महात्मा गांधी के कांग्रेस मुक्त भारत के सपने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और उन्होंने देश की इस सबसे पुरानी पार्टी पर सत्ता में रहने के दौरान देश की विकास की कीमत पर गांधी परिवार का महिमामंडन करने का आरोप लगाया था.
भागवत ने कहा कि नकारात्मक दृष्टि वाले बस संघर्षों और विभाजन की ही सोचते हैं. ऐसा व्यक्ति राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में बिल्कुल ही उपयोगी नहीं है. हिंदुत्व को देखने का एक तरीका अपने आप, अपने परिवार एवं अपने देश पर विश्वास करना है. भागवत ने कहा कि यदि कोई अपने आप पर, परिवार पर और देश पर विश्वास करता है तो वह समावेशी राष्ट्रनिर्माण की दिशा में काम कर सकता है.
भारत बंद के दौरान हिंसा दुर्भाग्यपूर्णः संघ
उधर एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ दलितों के भारत बंद के दौरान हुई हिंसा को भी आरएसएस ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है. संघ के सरकार्यवाह सुरेश जोशी (भैया जी) का कहना है कि एससी/एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद हिंसा की खबरें दुर्भाग्यपूर्ण है. कोर्ट के फैसले की आड़ में जिस प्रकार से संघ के बारे में विषैला दुष्प्रचार करने का प्रयास किया जा रहा है, वह आधारहीन व निंदनीय है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का न्यायालय के इस निर्णय से कोई संबंध नहीं.
भैया जी जोशी का मानना है कि जाति के आधार पर किसी भी भेदभाव अथवा अत्याचार का संघ सदा से विरोध करता आया है. इस प्रकार के अत्याचारों को रोकने के लिए बनाए गए क़ानूनों का कठोरता से परिपालन होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए हुए इस फैसले से असहमति प्रकट करते हुए केंद्र सरकार ने जो पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय किया है, वह सर्वथा उचित है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज के सभी प्रबुद्ध लोगों से अनुरोध करता है कि समाज में परस्पर सौहार्द्र बनाये रखने में अपना योगदान दें. समाज भी किसी प्रकार के बहकावे में ना आते हुए परस्पर प्रेम और विश्वास बनाए रखते हुए किसी भी प्रकार के दुष्प्रचार का शिकार ना हों.
दरअसल सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी और संघ पर दलितों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था. राहुल ने ट्वीट में लिखा, 'दलितों को भारतीय समाज के सबसे निचले पायदान पर रखना आरएसएस-बीजेपी के डीएनए में है, जो इस सोच को चुनौती देता है उसे वे हिंसा से दबाते हैं. हजारों दलित भाई-बहन आज सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार से अपने अधिकारों की रक्षा की मांग कर रहे हैं.'
गौरतलब है कि एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ दलित संगठनों द्वारा उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में तोड़फोड़, जाम और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं.