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RSS ने फिर छेड़ा आरक्षण का राग, पूछा- संपन्न लोगों को क्यों मिले इसका लाभ?

इस बार संघ ने संभलते हुए आरक्षण की समीक्षा के बदले आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत की है. हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के संदर्भ में रविवार को संघ ने पूछा कि संपन्न लोगों को आरक्षण क्यों?

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संघ ने कहा- आंदोलन नहीं, संवाद से सुलझाएं संवेदनशील मुद्दे
संघ ने कहा- आंदोलन नहीं, संवाद से सुलझाएं संवेदनशील मुद्दे

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक बार फिर आरक्षण का राग छेड़ दिया है. पिछली बार के विवाद को ध्यान में रखते हुए इस बार संघ ने संभलते हुए आरक्षण की समीक्षा के बदले आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत की है. हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के संदर्भ में रविवार को संघ ने पूछा कि संपन्न लोगों को आरक्षण क्यों? वहीं मंदिरों में महिलाओं के जाने पर रोक को संघ ने गलत ठहराया.

खत्म करना होगा जाति आधारित भेदभाव
सामाजिक समरसता की वकालत करते हुए संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि जाति आधारित भेदभाव के लिए हिंदू समुदाय के सदस्य जिम्मेदार हैं और हमें सामाजिक न्याय के लिए इसे समाप्त करना होगा. उन्होंने इस बाबत बाबासाहब भीमराव अंबेडकर को याद किया. उन्होंने प्रभावशाली तबकों की आरक्षण की मांग को खारिज कर दिया.

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आरक्षण का लाभ पाने वालों पर हो रिसर्च
भैयाजी जोशी ने यह पता लगाने के लिए अध्ययन करने की वकालत की कि पिछड़े वर्ग के जरूरतमंद लोगों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है या नहीं. संपन्न लोगों की आरक्षण की मांग को नामंजूर करते हुए उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने सामाजिक न्याय के लिए आरक्षण के प्रावधान बनाए थे. मौजूदा दौर में आरक्षण की मांग कर रहे लोगों को इस अवधारणा को ध्यान में रखना चाहिए.

कमजोर तबके को मदद की बड़ी जरूरत
उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि यह सोच सही दिशा में नहीं है. ऐसे (संपन्न) वर्ग के लोगों को अपने अधिकार छोड़ देने चाहिए और समाज के कमजोर तबके की मदद करनी चाहिए, लेकिन इसके बजाय वे अपने लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं. यह सोच सही दिशा में नहीं है.’ इस तरह की मांगों के लिए उन्होंने किसी वर्ग का सीधा नाम नहीं लिया. समझा जाता है कि उनका इशारा जाट समुदाय की ओर था, जिसने हाल ही में आरक्षण के लिए हरियाणा में हिंसक आंदोलन चलाया था.

महिलाओं के प्रवेश पर मंदिर प्रबंधन करे पहल
दूसरी ओर संघ ने रविवार को कहा कि किसी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक अनुचित है. भैयाजी जोशी ने कहा कि ऐसी रोक लगाने वाले मंदिर प्रबंधनों को अपनी सोच बदलनी चाहिए. यह बयान पिछले दिनों महाराष्ट्र के दो मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश के लिए चलाए गए आंदोलन की खबरों के बीच आया है.

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आंदोलन नहीं, संवाद से सुलझाएं संवेदनशील मुद्दे
उन्होंने कहा, ‘कुछ अनुचित परंपराओं की वजह से कुछ जगहों पर मंदिर में प्रवेश के सवाल पर आम सहमति नहीं रही है. ऐसे संवेदनशील विषयों को बातचीत और संवाद से सुलझाया जाना चाहिए, आंदोलनों से नहीं.’ उन्होंने कहा, ‘देश में हजारों मंदिरों में महिलाएं जाती हैं , लेकिन जहां कुछ मदिरों में उनके प्रवेश की बात है तो सोच बदलना जरूरी है. ऐसे मंदिरों के प्रबंधनों को भी यह समझना चाहिए.’ संघ के सरकार्यवाह ने कहा, ‘महिलाएं वेद सीख रहीं हैं और धार्मिक कामकाज भी कर रहीं हैं.’

पर्यावरण के मुद्दे से ऊपर नहीं हैं श्रीश्री
दिल्ली में श्री श्री रविशंकर के सांस्कृतिक महोत्सव पर उठे विवाद के बीच जोशी ने कहा कि अगर पर्यावरण का कोई मुद्दा है तो सभी को नियमों का पालन करना चाहिए, चाहे कोई व्यक्ति हो या संगठन. उसी समय उन्होंने यह भी कहा कि अगर जुर्माने ही लगाए जाते रहे तो समाज में बदलाव लाने की कोशिशें कमजोर होंगी.

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