लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी की प्रचंड जीत के साथ जैसे-जैसे देश में पार्टी का ग्राफ बढ़ा वैसे-वैसे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) की जड़ें भी मजबूत होती गईं. 2019 के आम चुनाव में बीजेपी की जीत ने संघ को और भी मजबूती प्रदान करने का काम किया. आरएसएस का संगठन मजबूत हुआ सदस्यों की संख्या बढ़ती गई तो प्रसार क्षेत्र में भी तेजी से इजाफा हुआ. ऐसे में संघ नेताओं के हालिया बयान इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि अब संगठन व्यापक प्लान की ओर बढ़ रहा है तो उसे हिंदुत्व की चिंता भी है.
आरएसएस के सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने रविवार को गोवा के पणजी में बयान दिया है कि हिंदू समुदाय का मतलब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबंधित होना नहीं है. साथ ही, भाजपा का विरोध करने को हिंदुओं के विरोध के तौर भी नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजनैतिक लड़ाई चलती रहेगी, लेकिन इसे हिंदुओं से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
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भैयाजी जोशी के इस बयान को संघ की एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. आरएसएस ने अपने इस बयान से यह बात साफ कर दिया है कि अगर किसी चुनाव में बीजेपी की हार होती है तो उसे हिंदुत्व की हार के तौर पर न देखा जाए. विपक्षी पार्टियां जिस तरह से बीजेपी को टारगेट करने के लिए संघ को भी आढ़े हाथों लेती हैं, भैयाजी जोशी के बयान को इससे जोड़कर भी देखा जा रहा है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जब भी बीजेपी या नरेंद्र मोदी सरकार पर सवाल खड़े करते हैं तो आरएसएस को बराबर निशाने पर लेते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी के तमाम नेताओं पर वो संघ की विचाराधारा को देश में लागू करने का आरोप लगाते हैं. राहुल ही नहीं, बल्कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सहित तमाम विपक्ष के नेता बीजेपी और संघ को एक साथ खड़ा करते हैं. इसीलिए संघ के भैयाजी जोशी ने अपने बयान से एक सियासी लकीर खींचने की कोशिश की है.
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आरएसएस भारत में जिस तरह की हिंदुत्व केंद्रित राजनीति चाहता था, मौजूदा समय में उसे काफी काफी हद तक सफलता मिलती नजर आ रही है. बीजेपी की तर्ज पर भले ही बाकी राजनीतिक दल कट्टर हिंदुत्व की राजनीति पर चलते न दिख रहे हैं, लेकिन सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर जरूर दिखाई दे रहे हैं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल सहित तमाम विपक्ष के नेता मंदिर जा रहे हैं और माथा टेक रहे हैं. विपक्ष के तमाम नेता अपने आपको कई शिव भक्त, कोई हनुमान भक्त तो कोई कृष्ण भक्त बता रहे हैं. इतना ही नहीं वे अब खुलकर अपने आपको मुस्लिमों के साथ नहीं दिखाना चाहते हैं. संघ इसे सकारात्मक के तौर पर ले रहा है. इसीलिए संघ ने कहा है कि बीजेपी का विरोध करना हिंदुओं का विरोध करना नहीं है.