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आरएसएस निकर बदलकर लाएगी ट्राउजर्स, युवाओं को आकर्षित करने में मिलेगी मदद

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जल्द ही अपनी यूनिफॉर्म में बदलाव करने पर विचार कर रहा है. अगर सब कुछ ठीक रहा है तो इसकी खाकी निकर को बदलकर ट्राउजर्स को शामिल किया जाएगा. यूनिफॉर्म को फैशनेबल बनाने से संघ को उम्मीद है कि इससे संगठन में युवाओं की संख्या में तेजी से इजाफा होगा.

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बदल जाएगी खाकी निकर!
बदल जाएगी खाकी निकर!

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वेशभूषा अब बदलने जा रही है, इतना ही नहीं, अब ये फैशनेबल भी बन जाएगी. अब तक खाकी निकर में नजर आने वाले संघ कार्यकर्ता जल्द ही ट्राउजर्स में नजर आया करेंगे. संघ इस बात पर भी विचार कर रहा है कि ट्राउजर्स का रंग खाकी ही रखा जाए, या फिर नीला या ग्रे कलर दिया जाए. आरएसएस की खाकी निकर का नाता फैशन से दूर-दूर तक नहीं है क्योंकि एक तो ये चुन्नटों वाली होती है और निचले हिस्से पर स्कर्ट की तरह फैली होती है.

अगर इस निकर को बदल दिया जाता है, तो आरएसएस की नियमित यूनिफॉर्म में बड़ा बदलाव होगा. फिलहाल जो यूनिफॉर्म है, उसे 'गनवेश' कहा जाता है. 11 से 13 मार्च तक होने जा रही तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में वोटिंग के जरिए इस पर फैसला किया जाएगा. पिछले साल रांची में हुई अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी.

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मीटिंग में होगा फैसला
हमारे सहयोगी अखबार मेल टुडे से बात करते हुए अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा, 'मीटिंग के एजेंडे में यूनिफॉर्म के मुद्दे को भी शामिल किया गया है और इस दौरान इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा. फिलहाल निकर को ट्राउजर्स में बदलने का प्रस्ताव रखा गया है.'

बदलेगी संगठन की छवि
आरएसएस के अंदरूनी सूत्रों ने मेल टुडे को बताया कि इस फैसले से संगठन की छवि में भी बदलाव की उम्मीद है और ये संगठन की तरफ युवाओं को आकर्षित करने में मदद करेगा. आरएसएस का दावा है कि हाल के समय में यूथ-सेंट्रिक अप्रोच की वजह से संगठन में सदस्यों की संख्या तेजी से बढ़ी है.

तेजी से बढ़ रहे हैं युवा सदस्य
वैद्य ने इससे पहले मेल टुडे से कहा था कि संगठन में तेजी से युवा शामिल हो रहे हैं. उन्होंने कहा, '2012 में जब से हमने वेबसाइट के जरिए लोगों तक पहुंचना शुरू किया है, बड़ी संख्या में युवाओं ने आरएसएस में शामिल होने या इसके लिए काम करने की इच्छा जताई है. हमसे ऑनलाइन संपर्क करने वाले लोग सक्रिया सदस्य और प्रचारक भी बन गए हैं.' संघ परिवार की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की कोशिश के मद्देनजर निकर को बदलकर ट्राउजर्स लाने के फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहा है.

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प्रोफेशनल्स भी हो रहे हैं शामिल
आरएसएस के एक राष्ट्रीय कार्यकर्ता ने कहा, 'आरएसएस और सखा की तरफ युवाओं का आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि पिछले 2-3 सालों में उनपर फोकस किया जा रहा है. इस बदलाव से संघ की वो छवि बदलकर फैशनेबल हो जाएगी, जिसे संगठन ने बना लिया है. इसके अलावा बहुत सारे प्रोफेशनल भी आरएसएस में शामिल हो रहे हैं. देश में बहुत सारे 'सखा' में आईटी प्रफेशनल्स का बोलबाला है और ये आईटी हब्स में हो रहे हैं. ये वास्तव में 'सखा' नहीं हैं बल्कि इन्हें 'मिलन' कहा जाता है, जिससे महिला सदस्य भी इसकी तरफ आकर्षित हो रही हैं.'

संघ की यूनिफॉर्म का इतिहास
संघ की खाकी निकर का इतिहास पुराना है. संघ का दावा है कि इसे पहले सरसंघचालक के.बी. हेडगेवर ने कांग्रेस की यूनिक कांग्रेस सेवा दल की यूनिफॉर्म से प्रेरित होकर अपनाया था. कांग्रेस सेवा दल का गठन 1924 में किया गया था जबकि संघ 1925 में अस्तित्व में आया था. 1930 में ब्लैक कैप को संघ की यूनिफॉर्म में शामिल किया गया. 1940 में सफेद शर्ट लाई गई. 1970 के दशक के शुरुआत में लेदर शूज को हटाकर लंबे बूट्स को संगठन की यूनिफॉर्म का हिस्सा बना दिया गया. आखिरी बदलाव 2010 में किया गया था, जब कैनवस बेल्ट की जगह लेदर बेल्ट को लाया गया.

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