राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)के आनुषंगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने नीति आयोग के कामकाज की समीक्षा करने का निर्णय लिया है. ऐसा पहली बार नहीं है जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के किसी संगठन ने मोदी सरकार के कामकाज में दखल देने की कोशिश की हो. स्वदेशी जागरण मंच को लगता है कि नीति आयोग अपने मूल उद्देश्यों से भटक रहा है. मंच की मानें तो नीति आयोग देश के विकास के लिए नीतियों को बनाने में व्यापक विचार-विमर्श के बजाए ऊपर से थोपने के उसी ढर्रे पर चल रहा है जिस पर योजना आयोग चला करता था.
स्वदेशी जागरण मंच के पदाधिकारी अश्विनी महाजन का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना आयोग की जगह नीति आयोग बनाने का फैसला करते वक्त साफ कहा था कि यह सरकार में जनभागीदारी को बढ़ाने के लिए काम करेगा. 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि नीति आयोग ऊपर से नीचे काम करने के लिए नहीं है, बल्कि नीचे की जानकारी के आधार पर ऊपर व्यापक विचार- विमर्श के बाद आम जनमानस के लिए नीतियां बनाई जाएगी.
स्वदेशी जागरण मंच के अश्विनी महाजन के मुताबिक नीति आयोग में ऐसा कुछ नहीं हो रहा है, जिसका पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से उल्लेख किया था. स्वदेशी जागरण मंच के लोग आनुवंशिक रूप से संशोधित सरसों यानी जीएम मस्टर्ड का उदाहरण देते हैं. स्वदेशी जागरण मंच के अधिकारियों का कहना है कि नीति आयोग ने बिना राज्य सरकारों से उचित सलाह-मशविरा किए इस पर नीति बनाई, जबकि यह एक ऐसा विषय है जिस पर राज्यों की राय ली जानी चाहिए थी. स्वदेशी जागरण मंच मानता है कि कृषि और रोजगार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर नीति आयोग की रिपोर्ट राज्यों की सलाह के बिना तैयार की है.
स्वदेशी जागरण मंच ने नीति आयोग के कामकाज पर चर्चा के लिए दस जनवरी को दिल्ली में एक सम्मेलन बुलाया है. महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें बीजेपी के भीतर स्वदेशी विचारधारा के समर्थक माने जाने वाले और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार और अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा को भी आमंत्रित किया गया है. यह तीनों बीजेपी के वरिष्ठ नेता है जो सरकार और पार्टी के कामकाज पर अपनी नाराजगी जताते रहे हैं. स्वदेशी जागरण मंच के पदाधिकारियों के मुताबिक सम्मेलन में शामिल होने के लिए कुछ अर्थशास्त्रियों के साथ-साथ नीति आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया तथा आयोग के अन्य सदस्यों को भी निमंत्रण भेजा गया है ताकि वह नीति आयोग का पक्ष इस चर्चा में स्पष्ट कर सकें.