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संघ की हिदायत, दलित शब्द का इस्तेमाल करने से बचें

संघ ने अपने स्वयंसेवकों और सहयोगी संगठनों को अनुसूचित जाति और आदिवासियों के लिए अनुसूचित जनजाति शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कहा है.

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संघ प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)
संघ प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने स्वयंसेवकों को 'दलित' शब्द का उपयोग करने से बचने के लिए कहा है. संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि 'दलित' शब्द अपमानजनक है, जो औपनिवेशिक (गुलामी) सोच को दर्शाता है. ऐसे में इस शब्द के प्रयोग से बचा जाना चाहिए और उसकी जगह समाज के संबंधित वर्गों के लिए ‘अनुसूचित जाति’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक पहचान उजागर न करने की शर्त पर आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि 'दलित' शब्द अनुसूचित जाति के लोगों के लिए अपमानजनक है. संघ ने अपने स्वयंसेवकों और सहयोगी संगठनों को अनुसूचित जाति और आदिवासियों के लिए अनुसूचित जनजाति शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कहा है.

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नए कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार भी कहते हैं कि संघ को लगता है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति शब्द संवैधानिक मंजूरी के रूप में अधिक उपयुक्त हैं. इसमें कोई अपमानजनक झलक नहीं दिखती है. ऐसे में इस शब्द को प्रयोग किया जाना चाहिए.

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गौरतलब है कि पिछले हफ़्ते सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय ने भी सभी राज्य सरकारों और सरकारी विभागों को 'दलित' शब्द की जगह अनुसूचित जाति का इस्तेमाल करने की बात कही थी. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से इस बाबत जारी निर्देश की पृष्ठभूमि में ये कहा गया कि अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के लिए अब ‘दलित’ शब्द इस्तेमाल न करें.

सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के दलित चिंतक डी श्याम बाबू कहते हैं कि दलित शब्द असल में मराठी भाषा का शब्द है. इसका मतलब है- पीड़ित और शोषित. इसके इस्तेमाल को लोकप्रियता दिलाने में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की सबसे अहम भूमिका रही. हालांकि संविधान में इस शब्द का कहीं ज़िक्र नहीं है.’

गौरतलब है कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में अनुसूचित जाति की आबादी 16.6 फीसदी है जबकि अनुसूचित जनजाति 8.6 फीसदी है. पिछले दिनों गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में दलित हिंसा को लेकर बीजेपी और संघ बैकफुट पर है. बीजेपी के मंत्री और नेता सामाजिक सदभाव अभियान और स्वराज ग्राम अभियान के तहत एससी\एसटी समुदाय के घरों में भोजन कर रहे हैं और रात्रि विश्राम कर रहे हैं.

कांग्रेस के दलित नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य भालचंद्र मुंगेकर ने कहा कि बीजेपी और संघ का ये कदम राजनीतिक रूप से प्रेरित है. उन्होंने कहा कि दलित शब्द अस्पृश्यता के कलंक को दर्शाता है, जो अब अवैध है. उन्होंने कहा कि दलित शब्द का प्रयोग सभी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से शोषित और राजनीतिक रूप से पिछड़े समुदायों के लोगों के लिए किया जाता है.

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