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RTI आवेदन में मांगा बीजेपी से चंदे का हिसाब

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) द्वारा राजनीतिक दलों को भी सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में लाए जाने के फैसले के महज दो दिनों बाद ही गोवा में एक सूचना कार्यकर्ता ने इस दिशा में अपना काम शुरू कर दिया है.

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केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) द्वारा राजनीतिक दलों को भी सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में लाए जाने के फैसले के महज दो दिनों बाद ही गोवा में एक सूचना कार्यकर्ता ने इस दिशा में अपना काम शुरू कर दिया है.

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सरकारी कर्मचारी रह चुके काशीनाथ शेट्टी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को आरटीआई के तहत अर्जी देकर पार्टी से खनन कंपनियों से मिली नगदी और चंदे के अलावा उसके अपने विधायकों एवं पदाधिकारियों द्वारा दिए जाने वाले अंशदान की जानकारी मांगी है.

शेट्टी ने कहा, 'आरटीआई के तहत एक अर्जी भाजपा को सौंपी गई है. ऐसी ही अर्जियां कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) और गोवा विकास पार्टी (जीवीपी) जैसी क्षेत्रीय पार्टियों को भी सौंपी जाएंगी.'

आरटीआई के तहत शेट्टी द्वारा मांगी गई जानकारी में 'भाजपा द्वारा वेदांता/सेसा गोवा एवं अन्य खनन कंपनियों से लिए गए चंदे' का हिसाब शामिल है. गोवा में खनन कम्पनियों और राजनीतिक दलों के बीच चोली दामन का रिश्ता हालांकि जग जाहिर है, फिर भी इसका दस्तावेजों में कहीं जिक्र नहीं है.

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राज्य में सबसे अधिक लौह अयस्क दोहन और निर्यात करने वाली कंपनी, सेसा गोवा प्रा.लि. ने 2009-10 में भाजपा को 85 लाख रुपये और कांग्रेस को 30 लाख रुपये का भुगतान किया था. इसी अवधि में एमजीपी को दो लाख रुपये, जबकि शिवसेना को एक लाख रुपये मिले थे. यह दु:संयोग है कि यह दान उस अवधि में दिया गया, जब गोवा में खनन अपने चरम पर था और यह गैरकानूनी खनन हो रहा था.

शेट्टी ने यह भी पूछा है कि क्या भाजपा के हर विधायक को अंशदान करना होता है, 'यदि हां तो कृपया विस्तृत ब्योरा मुहैया कराया जाए. अर्जी के माध्यम से 1999 से 2012 तक सभी चुनाव घोषणा पत्रों की मांग की गई है, ताकि यह देखा जा सके कि चुनावी घोषणा पत्रों में किए गए वादे भाजपा के सत्ता में आने के बाद पूरे किए गए या नहीं.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व सीआईसी के आदेश का अध्ययन कर रहा है और प्रदेश इकाई को अभी तक वहां से आरटीआई अर्जियों पर कार्रवाई के तौरतरीके पर कोई निर्देश नहीं मिला है.

भाजपा नेता ने कहा कि आरटीआई अर्जियों के निस्तारण के लिए अपने सांगठनिक ढांचे को संशोधित और सूचनाओं को व्यवस्थित करने के लिए समय की दरकार है.

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