जिस प्रतीक्षा की बालकॉनी में खड़े होकर अमिताभ कभी अपने चाहने वालों को एक झलक दे उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी देते थे. उसी प्रतीक्षा के बगल से मेट्रो ट्रेन निकलने जा रही है. जिसकी वजह से प्रतिक्षा के इर्दगिर्द मेट्रो के लोगों की गतिविधियां काफी तेज हैं और अमिताभ की दिक्कत यह है कि इनकी वजह से उनकी व्यस्त जिंदगी में काफी मुश्किल आती है.
इसी दर्द को अमिताभ ने अपने ब्लॉग बिग अड्डा में देर रात लिखा है. मेट्रो बेशक उन लोगों को बड़ी राहत देगी जो रोजाना ऑटो टैक्सी की किचकिच से दो चार होते हैं लेकिन इससे मेरे घर प्रतीक्षा पर बहुत ही बुरा असर पड़ रहा है. मेट्रो प्रतीक्षा के पास से गुजरेगी लिहाजा जबतब मेट्रो के अधिकारी मुआयने पर रहते हैं इससे मेरी व्यस्त जिंदगी और भी बदतर हो जाती है. जबसे मेट्रो आने की बात हुई है तबसे मेरी प्राइवेसी इस तरह से खत्म हुई है कि मैं परेशान हूं. मेरे लिए यह समझ पाना कठिन है कि आखिर मेट्रो को इस बात की फिक्र क्यों नहीं है कि वो किसी के व्यक्तिगत जीवन का खयाल रखे.
मेट्रो के पहले फेस की दूसरी लेन कोलाबा-बांद्रा-चारकोप तक फैली है. इसमें चारकोप से कोलाबा के बीच में जूहू-विलेपार्ले स्कीम इलाका आता है और इसी में अमिताभ का बंगला प्रतीक्षा भी पड़ता है. यह 38.24 किलोमीटर की मेट्रो लाइन है जिसमें कुल सोलह स्टेशन हैं. मेट्रो मुंबई की सख्त जरूरत है पर सदी के नायक को इससे दिक्कत है. अब बहस छिड़ गयी है कि महानायक के बंगले के बगल से मेट्रो निकले या नहीं. {mospagebreak}
पर मुंबई की सड़कों में पसीना बहाने वाला पूछता है कि 1 करोड़ 10 लाख लोगों की सुविधा बड़ी है या महानायक के बंगले की प्राइवेसी. बच्चन के ब्लॉग पर लिखे दर्द पर उनके पुराने भाई अमर सिंह ने बड़ी बेदर्द प्रतिक्रिया दी है. पर देश के पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अमिताभ बच्चन की शिकायत को समझते हुए कहा है कि अगर अमिताभ को दिक्कत है तो मेट्रो रेल उस इलाके में जमीन के नीचे से भी जा सकती है.
महाराष्ट्र के गृहमंत्री आरआर पाटिल का कहना है कि उन्होंने अभी अमिताभ का ब्लॉग पढ़ा नहीं है. पर हर व्यक्ति को समाज की सुविधा के बारे में सोचना चाहिए न कि केवल अपने बारे में. अमिताभ के प्रशंसक और मित्र रहे राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के प्रवक्ता नितिन सरदेसाई का कहना है कि एक व्यक्ति के लिए शहर के विकास की योजना को बदलना नहीं चाहिए इससे शहर का विकास रुकता है.