प्रशासनिक सुधार कमेटी की रिपोर्ट में आतंकवादी सरगना मसूद अजहर के रिश्ते दारुल उलूम देवबंद के उलेमाओं से होने का खुलासा होते ही राजनीतिक हलकों में उफान आ गया है. बीजेपी जहां आक्रामक मुद्रा में है वहीं कांग्रेस बचाव में नजर आ रही है.
भारत पर आतंकी हमलों के सबसे बड़े आरोपियों में से एक है जैश-ए-मुहम्मद का चीफ मौलाना मसूद अजहर. क्या इस शख्स के देवबंद के उलेमाओं से भी रिश्ते हैं. केंद्र की प्रशासनिक सुधार कमेटी की रिपोर्ट में कुछ ऐसा ही हैरतअंगेज खुलासा हुआ है. ये अलग बात है कि बचाव की मुद्रा में आई कांग्रेस रिपोर्ट और दारुल उलूम दोनों को सही मानती है. अब भाजपा को भला और क्या चाहिए. मुद्दे को सियासी गर्मी देते हुए पार्टी के फायर ब्रांड नेता विनय कटियार ने तो दारुल उलूम पर प्रतिबंध तक लगाने की मांग कर दी है.
जमियत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना असद मदनी ने इस विवाद को फिरकापरस्ती का नाम दिया है. वो कहते हैं कि दारुल उलूम का संबंध किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं है. कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली प्रशासनिक सुधार समिति की आतंकवाद से मुकाबला करने संबंधित रिपोर्ट में देवबंद के उलेमाओं के रिश्ते आतंकवादी मसूद अजहर से होने की बात कही गई थी. जाहिर है नेताओं को सियासत के लिए बड़ा मुद्दा मिल गया.