लगभग तीन सप्ताह से हिंसा की आग में जल रही कश्मीर घाटी में इन दिनों अफवाहों का बाजार भी पूरी तरह गर्म है. अशांति फैलाने में अफवाहें पूरा योगदान दे रही हैं.
पुलिस, राजनेताओं और अलगाववादी नेताओं के मुताबिक इस दौरान कट्टरपंथियों ने अशांति फैलाने के लिए अफवाहों को अपने सबसे बड़े हथियार के रूप में उपयोग किया. सड़कों पर प्रदर्शन से निपटने में लगी पुलिस का काफी समय अफवाहों को झूठी साबित करने में भी नष्ट हो रहा है.
इन अफवाहों में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के इस्तीफे से लेकर, सुरक्षा बलों द्वारा फिर गोलीबारी करना और युवकों के सुरक्षा बलों के वाहनों के नीचे कुचलने तक की झूठी खबरें शामिल हैं, जो घाटी के विभिन्न स्थानों पर अशांति फैलाने में बड़ा योगदान दे रही हैं.
पुलिस एसएमएस पर अस्थाई तौर पर प्रतिबंध के फैसले को एक बड़ी राहत के तौर पर देख रही है क्योंकि घाटी में एसएमएस सेवा एक तरह से अफवाहें फैलाने का सबसे अच्छा तरीका साबित हो रही थी. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अफवाहें फैलाना तब तक अपराध नहीं है, जब तक इससे कोई गंभीर घटना न हो.