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रुपये को मिला नया प्रतीक चिह्न, अब नोट पर छपेंगे

अमेरिकी डालर, जापानी येन, ब्रिटिश पौंड स्‍टर्लिंग और यूरोपीय संघ के यूरो की तरह अब भारतीय रूपये का भी अपना चिह्न होगा.

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अमेरिकी डालर, जापानी येन, ब्रिटिश पौंड स्‍टर्लिंग और यूरोपीय संघ के यूरो की तरह अब भारतीय रूपये का भी अपना चिह्न होगा.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आज सुबह हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला करते हुए रूपये के चिन्ह को मंजूरी दी गयी. बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि इस चिन्ह को‘ यूनीकोड मानक, आईएसओ-आईईसी 10646 और आईएस 13194 ’ में शामिल करने के बाद इसका इस्तेमाल भारत के भीतर और बाहर किया जा सकेगा.

उन्होंने कहा, ‘‘रुपये का चिन्ह भारतीय मुद्रा की पहचान कायम करेगा और भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी एवं मजबूती को रेखांकित करेगा. साथ ही यह भारत को वैश्विक निवेश के तरजीही गंतव्य के रूप में आगे बढाने में भी मददगार होगा. ’’ अंबिका ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के नयी उंचाइयों पर पहुंचने और विश्व अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत होने तथा भारत के वैश्विक निवेश का प्रमुख गंतव्य बनने के मददेनजर भारतीय रूपये का एक चिन्ह विकसित करने का फैसला सरकार ने किया था.

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अंबिका ने कहा कि चिन्ह की ‘एनकोडिंग’ के बाद नासकाम रूपये को साफ्टवेयर में शामिल करने के लिए भारतीय साफ्टवेयर विकास कंपनियों से संपर्क साधेगा ताकि दुनिया भर में कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाले लोग इसका आसानी से उपयोग कर सकें, भले ही यह चिन्ह कीबोर्ड पर न बना हो. यूरो का निशान भारत में इस्तेमाल होने वाले कीबोर्ड में नहीं है लेकिन उसका इस्तेमाल होता है. उन्होंने कहा कि भारत में बनने वाले कीबोर्ड में इस चिन्ह को शामिल करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी निर्माता एसोसिएशन (मेट) चिन्ह की अधिसूचना जारी होने के बाद इसे कीबोर्ड में शामिल करने की पहल करेगा.{mospagebreak}

मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों को रूपये के इस चिहन के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. रूपये के निशान को भारतीय मानकों में एन्कोड करने की प्रक्रिया में छह महीने लगेगा जबकि यूनीकोड और अन्य मानकों में ऐसा करने के लिए डेढ से दो साल का वक्त लगेगा.

उन्होंने कहा कि यह चिन्ह भारतीय रूपये को विभिन्न भाषाओं में एक ही तरह से पेश करने में सहायक होगा. इससे भारतीय रूपये की पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और इंडोनेशिया जैसे देशों की मुद्राओं से अलग पहचान बनेगी, जहां रूपया या रूपइया चलता है.

अंबिका ने कहा कि इस चिन्ह को ‘यूनीकोड मानक’ में शामिल किया जाएगा ताकि दुनिया की सभी लिपियों में इसे लिखा जा सके. इलेक्ट्रानिक एवं प्रिंट मीडिया में इस चिन्ह को छापा जा सकेगा क्योंकि सभी साफ्टवेयर कंपनियां इस मानक के अनुरूप साफ्टवेयर विकसित करेंगी.

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चिन्ह को भारतीय मानकों में भी शामिल किया जाएगा. इसके लिए भारतीय मानक ब्यूरो की मौजूदा सूची में संशोधन होगा. ‘ इंडियन स्क्रिप्ट कोड फार इन्फारमेशन इंटरचेंज (आईएससीआईआई)’ के तहत रूपये का चिन्ह शामिल होगा. आईएससीआईआई कंप्यूटर प्रोसेसिंग के लिए कीबोर्ड ले-आउट सहित भारतीय भाषाओं के विभिन्न कोड की व्याख्या करता है. भारतीय नागरिकों से चिन्ह से जुड़ी प्रविष्टियां आमंत्रित की गयीं थीं. सार्वजनिक प्रतिस्पर्धा में शामिल लोगों से कहा गया था कि वे ऐसा कोई चिन्ह प्रस्तुत करें जो भारतीय संस्कृति और मूल्यों को प्रतिबिम्बित करता हो.

तीन हजार से अधिक प्रविष्टियां मिलीं और उनका आकलन भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के अध्यक्षता वाले निर्णायक मंडल ने किया. निर्णायक मंडल ने पांच प्रविष्टियों को अंतिम निर्णय के लिए छांटा और सरकार को इन पांचों के बारे में अपना आकलन पेश किया ताकि वह कोई फैसला कर सके.

आईआईटी के पोस्ट ग्रेजुएट डी उदय कुमार द्वारा डिजाइन किये गये चिन्ह को पांच प्रविष्टियों में चुना गया. यह चिन्ह हिन्दी का अक्षर ‘‘र’’ है, जिसमें एक समानान्तर लाइन और डाली गयी है. यह अंग्रेजी के अक्षर ‘आर’ से भी काफी मिलता जुलता है.

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