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शिवसेना बोली- कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगे या फिर से हो चुनाव

शिवसेना ने कहा कि बहुमत गंवाकर बैठे कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी विधानसभा में चर्चा करके वक्त बर्बाद करने के बजाय सीधे मतदान करके लोकतंत्र का पक्ष रखना चाहिए था, लेकिन उनकी सांस मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर ऐसी अटकी है, जो छूटते नहीं छूट रही.

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शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे

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कर्नाटक में जारी सियासी संकट को लेकर शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है. अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना ने लिखा है कि कर्नाटक में लोकतंत्र की हत्या हो रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार मूकदर्शक क्यों बनी है. शिवसेना ने कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाने या सरकार को भंग करने और नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की है. शिवसेना ने कहा कि कर्नाटक के लोगों को फैसला लेने का मौका मिले.

शिवसेना ने कहा कि बहुमत गंवाकर बैठे कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी विधानसभा में चर्चा करके वक्त बर्बाद करने के बजाय सीधे मतदान करके लोकतंत्र का पक्ष रखना चाहिए था, लेकिन उनकी सांस मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर ऐसी अटकी है, जो छूटते नहीं छूट रही. वहीं राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष और कुमारस्वामी तीनों ही इस खेल में अपने-अपने पत्ते फेंक रहे हैं.

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शिवसेना ने कहा, लोकतंत्र और संसदीय परंपरा की विरासत का पालन करते हुए कुमारस्वामी को सत्ता का त्याग कर देना चाहिए था, लेकिन अब विश्वास प्रस्ताव पेश करना ही पड़ेगा. सामना में कहा गया कि बहुमत गंवा चुका एक मुख्यमंत्री कुर्सी से चिटककर रहने के लिए दयनीय स्थिति में छटपटा रहा है, यह नजारा पूरा देश देख रहा है.

कुमारस्वामी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कांग्रेस और जनता दल (जेडीएस) के विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, उनके इस्तीफे न स्वीकारने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को नहीं है. कुमारस्वामी कर्नाटक में भी अपने विधायकों को नहीं संभाल पा रहे हैं, वहीं गोवा में भी कांग्रेस अपने दस विधायकों को संभाल नहीं पाई है.

महाराष्ट्र कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक भी शिवसेना या बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. तो इसका ठीकरा वह भाजपा पर क्यों फोड़ रहे हैं? कांग्रेस का नेतृत्व कमजोर पड़ चुका है और उम्मीद की किरण भी दिखाई नहीं दे रही है, ऐसे में कई विधायक बीजेपी ज्वॉइन कर रहे हैं.

शिवसेना ने कहा, कर्नाटक और गोवा में जो हो रहा है वो इसके पहले कांग्रेस के शासनकाल में कई बार हो चुका है. कांग्रेस ने संविधान और राज्यपालों का दुरुपयोग करके विरोधी सरकारों को गिराया है. इसलिए कर्नाटक के मामले में कांग्रेस को मातम मनाने की जरुरत नहीं है. विधायकों को इस्तीफा देने का संवैधानिक अधिकार है. वहीं जनप्रतिनिधियों ने किसी दबाव में आकर इस्तीफा दिया हो तो विधानसभा अध्यक्ष उसे अस्वीकार कर सकते हैं, ऐसा अधिकार उन्हें संविधान ने दिया है.

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कर्नाटक में सभी लोग लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रहे हैं. दोनों तरफ का यह तमाशा केंद्र सरकार शांतिपूर्वक क्यों देख रही है? शिवसेना ने कहा, ऐसे में वहां राष्ट्रपति शासन लागू हो या कर्नाटक विधानसभा को बर्खास्त किया जाए और  कर्नाटक की जनता को ही फैसला लेने दिया जाए.

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