प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 25 वर्ष पुराने दक्षेस को ‘आधा खाली गिलास’ जैसा बताते हुए यहां समूह की विपुल क्षमता का उल्लेख किया जिसका अभी पूरा इस्तेमाल नहीं किया जा सका है.
16वें दक्षेस शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि सदस्य देशों को ‘यह मानते हुए खुद को चुनौती देनी चाहिए कि क्षेत्रीय सहयोग, क्षेत्रीय विकास और क्षेत्रीय एकजुटता का गिलास अभी आधा खाली है.’ सिंह ने कहा कि इस चुनौती को लेने से ‘हम न केवल अपनी मदद करेंगे बल्कि वैश्विक आर्थिक सम्पन्नता में महत्वपूर्ण योगदान भी दे सकेंगे.’
उन्होंने कहा कि बीते 25 वर्षों में दक्षिण एशियाई उप महाद्वीप में बहुत उन्नति हुई है. उन्होंने कहा, ‘फिर भी, हमें और समग्र रूप से हमारे क्षेत्र को अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लंबी यात्रा करनी है.’ सिंह ने क्षेत्रीय सहयोग पर भी जोर देते हुए कहा कि इससे लोगों की, सामान की और विचारों की निर्बाध आवाजाही संभव होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘इससे हमें अपनी साझा विरासत दोबारा खोजने और अपने साझा भविष्य को बनाने में मदद मिलेगी.’ सिंह ने कहा, ‘हमें अपने आप से पूछना चाहिए कि हम अपनी वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए किस तरह का दक्षिण एशिया बनाना चाहते हैं. इस सालाना सम्मेलन में हमें एक ऐसा क्षेत्र बनाने की अपनी प्रतिबद्धता मजबूत करनी चाहिए जो बेहतर रूप से जुड़ा हो, बेहतर रूप से सशक्त हो, जिसमें बेहतर पोषण और बेहतर शिक्षा हो.’
{mospagebreak} दक्षिण एशियाई देशों के बीच वस्तु और सेवा व्यापार तथा लोगों की आवाजाही की व्यवस्था को और उदार बनाने पर जोर देते हुए हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज चेतावनी दी कि अगर सदस्य देश दक्षेस समूह को बेहतर संपर्क और अधिक समर्थन संगठन बनाने में विफल रहे तो यह संगठन हाशिये पर चला जाएगा.
यहां दक्षिण एशियायी क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) के 16वें शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने अफसोस जताया कि पूर्वी और दक्षिण-पूर्व एशिया देशों की तुलना में दक्षेस सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश का प्रवाह बेहद कम है. जबकि सदस्य देशों के बीच व्यापार की अपार संभावना है.
उन्होंने कहा, ‘21वीं सदी तबतक एशिया की सदी नहीं हो सकती जबतक दक्षिण एशिया के देश एकसाथ नहीं चलेंगे.’ उन्होंने सार्क के तहत बनी क्षेत्रीय संस्थाओं को कार्यरूप देने, सम्मेलनों के कार्यक्रम में तबदील करने तथा औपचारिक बयानों को जनभावना में बदलने की आवश्यकता पर बल दिया.
सिंह ने सम्मेलन में कहा, ‘मैं चाहता हूं कि दक्षिण एशियाई देशों का समावेशी विकास हो. न केवल देशों में बल्कि पूरे क्षेत्र का समावेशी विकास हो.’ शिखर सम्मेलन में भूटान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और मालदीव के नेता भाग ले रहे हैं.