केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिलने का बीजेपी और हिंदुत्ववादी संगठनों से जुड़े लोगों की ओर से व्यापक विरोध किया जा रहा है. लेकिन अब राज्य की वामपंथी सरकार के नेतृत्व में कई ऐसे संगठन सामने आए हैं जो इसको प्रतिगामी मानते हुए महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिए जाने की मांग कर रहे हैं. आज यानी मंगलवार को 30 लाख महिलाएं राज्य के कासरगोड़ से तिरुअनंतपुरम तक 620 किमी लंबा एक 'वुमन्स वॉल' बनाएंगी.
राज्य की सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) सरकार द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम शाम 4 बजे से शुरू होगा. मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार का कहना है कि वह किसी को भी केरल को 'अंधेरे युग' में ले जाने की इजाजत नहीं देगी और सभी महिलाओं को समान अधिकार है. राज्य सरकार के सामने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू कराने की चुनौती है. खासकर यह देखते हुए कि बीजेपी के अलावा कांग्रेस के भी कई नेता इसका विरोध कर रहे हैं.
गौरतलब है कि पहले सबरीमाला मंदिर में रजस्वला स्त्रियों को जाने की इजाजत नहीं थी और 10 साल से छोटी या 50 साल से ऊपर की महिला ही भगवान अयप्पा के इस मंदिर में जा सकती थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस रोक को खत्म कर दिया. हालांकि मंदिर के पुजारी और तमाम संगठन परंपराओं की दुहाई देते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का विरोध कर रहे हैं.
अब वामपंथी दलों द्वारा समर्थित यह महिला दीवार इसी की प्रतिक्रिया माना जा रहा है. इस वुमेन्स वॉल को सीपीएम और सीपीआई जैसे वाम दलों का समर्थन मिल रहा है. यह वुमेन्स वॉल बनाकर राज्य की वामपंथी सरकार हिंदुत्ववादी ताकतों को जवाब देना चाहती है.