केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर इतिहास बना देने वाली दो महिलाएं अब कट्टरपंथी हिंदू संगठनों की धमकी की वजह से अपने घर नहीं लौट पा रहीं. इस मंदिर में रजस्वला उम्र की स्त्रियों के प्रवेश पर परंपरागत रोक थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया है. लेकिन अब भी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का विरोध हो रहा है.
39 साल की कनक दुर्गा और 40 साल की बिंदू अम्मिनी सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली पहली महिलाएं हैं. सदियों से भगवान अयप्पा के इस मंदिर में रजस्वला उम्र यानी 10 से 50 साल तक की महिलाओं का प्रवेश वर्जित था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले से इस रोक को खत्म कर दिया, जिसके बाद से ही राज्य के कई हिंदू संगठन और राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं. राज्य भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएं भी हुई हैं.
उक्त दोनों महिलाएं गुपचुप ढंग से मंदिर में प्रवेश करने में सफल हुई थीं. उन्होंने कोच्चि के पास एक अज्ञात जगह से समाचार एजेंसी रॉयटर्स को इंटरव्यू दिया. बिंदु केरल के कन्नूर यूनिवर्सिटी में कानून की लेक्चरर हैं और कनकदुर्गा एक सिविल सर्वेंट हैं. उन्होंने कहा कि हिंसा की धमकी के बावजूद वे मंदिर में घुसने को लेकर प्रतिबद्ध थीं. कनकदुर्गा ने कहा, 'कई पुलिस अधिकारियों और यहां तक कि हमारे दोस्तों ने भी हमें यह समझाने की कोशिश की कि हम मंदिर में न जाएं और लौट जाएं.'
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन महिलाओं ने 24 दिसंबर को भी मंदिर में घुसने की कोशिश की थी, लेकिन वे सफल नहीं हुईं, वे इसके बाद 2 जनवरी को सफल हुईं. केरल के सीएम ऑफिस के अनुसार, इन दोनों महिलाओं के बाद 46 साल की एक तीसरी महिला भी मंदिर में प्रवेश कर चुकी है.
बिंदु ने कहा, 'हमें डर नहीं लगा. हमारा एकमात्र उद्देश्य था, हम मंदिर के अंदर जाना चाहते थे.'
इन महिलाओं के मंदिर में प्रवेश की खबर मिलते ही राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और बीजेपी के नेतृत्व में पूरे केरल में एक दिन के बंद का आयोजन किया गया. दोनों महिलाओं ने कहा कि बीजेपी सरकार को अपने समर्थकों को काबू में रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्हें प्रदर्शन करने वालों से धमकियां मिल रही हैं, लेकिन उन्हें भरोसा है कि प्रशासन उन्हें सुरक्षा देगा और अगले हफ्ते तक वे अपने घर जाएंगी.