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SC के फैसले पर बोलीं मेनका गांधी- क्लब से फिर मंदिर बन गया सबरीमाला मंदिर

केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक अब खत्म हो गई है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने इस संबंध में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया.

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मेनका गांधी
मेनका गांधी

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केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने सबरीमाला मंदिर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है. उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छी बात है हिंदू धर्म को सबको जोड़ कर रखता है. लेकिन ठेकेदारों ने इसे लेकर कितनी पाबंदिया लगा दीं. तमाम नियम गढ़ दिए कि यहां कौन जाएगा और कौन नहीं जाएगा.

मंत्री ने कहा कि मंदिर में जाति, धर्म और स्त्री के प्रवेश पाबंदी एक तरह से धार्मिक ठेकेदारी है. भगवान सबके लिए होता है. खासतौर पर जब हिंदू धर्म में औरत को जब शक्ति माना जाता है तो कौन मना कर सकता है कि शक्ति ही मंदिर में न जाए. आजतक से बातचीत में मेनका गांधी ने कहा कि भगवान किसके लिए है? सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है. क्योंकि यह हिंदूइज्म को विस्तार देता है. उसे आधुनिक बनाता है.

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह धर्म है जो बताता है कि मंदिर में आप खुशी खुशी जाए. आखिर यह कोई जिमखाना क्लब नहीं है कि जो सूट नहीं पहनता है वह क्लब नहीं जाएगा. जिस वर्ग की आय कम है वह क्लब नहीं जाएगा. यह धर्म है, और इसका मतलब क्लब नहीं होता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सबरीमाला मंदिर को क्लब से मंदिर बना दिया है.

बता दें कि केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर लगी रोक अब खत्म हो गई है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया. पांच जजों की बेंच ने 4-1 (पक्ष-विपक्ष) के हिसाब से महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाया. करीब 800 साल पुराने इस मंदिर में ये मान्यता पिछले काफी समय से चल रही थी कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश ना करने दिया जाए.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस नरीमन, जस्टिस खानविलकर ने महिलाओं के पक्ष में एक मत से फैसला सुनाया. जबकि जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने सबरीमाला मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया.

फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि आस्था के नाम पर लिंगभेद नहीं किया जा सकता है. कानून और समाज का काम सभी को बराबरी से देखने का है. महिलाओं के लिए दोहरा मापदंड उनके सम्मान को कम करता है. चीफ जस्टिस ने कहा कि भगवान अयप्पा के भक्तों को अलग-अलग धर्मों में नहीं बांट सकते हैं.

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