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सबरीमला पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला श्रद्धालुओं के विरुद्ध: केरल वर्मा राजा

सबरीमाला के श्रद्धालुओं की मान्यता है कि अय्प्पा भगवान ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए जंगलों में जाकर बस गए थे, यही वजह है कि 10 से 50 वर्ष की महिलाओं का प्रवेश यहां वर्जित था.

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सबरीमाला मंदिर (फाइल फोटो, PTI)
सबरीमाला मंदिर (फाइल फोटो, PTI)

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सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध हो रहा है. पंडलाम के पूर्व राजपरिवार के प्रमुख केरल वर्मा राजा ने रविवार को कहा कि सबरीमाला पर उच्चतम न्यायालय का हाल का फैसला श्रद्धालुओं के विरुद्ध है और केंद्र सरकार को अनुयायियों के अधिकारों की रक्षा के लिए जरुरी संशोधन करना चाहिए.

पंडलाम राजपरिवार का सबरीमाला के मुख्य देवता भगवान अयप्पा की किवदंतियों से संबंध रहा है. मंदिर में नवंबर-जनवरी के बीच वार्षिक मंडलम उत्सव के दौरान राजपरिवार का प्रमुख कुछ खास अनुष्ठान करने का विशेषाधिकार रखता है.

राजा ने कहा, ‘‘पंडलाम राजपरिवार सबरीमाला मंदिर के कुछ अधिकारों और परंपराओं का पालन करता है. जहां तक फैसले का सवाल है तो यह श्रद्धालुओं के विरुद्ध है. हम उसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय गए हैं, हम इस याचिका पर नतीजे का विश्लेषण करके उपयुक्त कदम उठायेंगे.’’

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वह सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के फैसले के खिलाफ अयप्पा धर्मा प्रोटेक्शन कमेटी के विरोध मार्च में हिस्सा लेने यहां आये थे. उन्होंने अपील की कि केंद्र शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ कानून में जरुरी संशोधन करे.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पिछले कई दिनों से प्रदर्शन चल रहा है. महिलाएं और कई संगठन सड़कों पर उतर के फैसले का विरोध कर रहे हैं.

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