अकसर सेलिब्रिटीज की राजनीतिक पारी को यह कहकर नकार दिया जाता है कि वे आम आदमी के लिए अपनी बातों में तो संवेदना रखते हैं, लेकिन जब बतौर नेता काम करने की बारी आती है तो वह उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते. सेलिब्रिटीज पर लगने वाले ऐसे आरोपों को क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर और सिनेमा से राजनीति में आईं रेखा ने बल देने का काम किया है. ये दोनों राज्यसभा के सदस्य हैं, लेकिन आम आदमी के हितों की बात करने के लिए सदन गए इन सांसदों ने अपनी सांसद निधि से अभी तक ऐसा पैसा भी खर्च नहीं किया है.
सचिन और रेखा दो साल पूर्व राज्यसभा सदस्य बने हैं और दोनों के मेंबर ऑफ पार्लियामेंट लोकल एरिया डवलपमेंट फंड (एमपीएलएडी) में इस समय 10 करोड़ रुपये की राशि है. नियम के मुताबिक इस राशि का उपयोग उन्हें अपने क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए खर्च करना था. बता दें कि राज्यसभा सदस्य के रूप में सभी को अपनी पसंद से किसी एक जिले को अडॉप्ट करना होता है. इसके तहत सचिन ने मुंबई के उपनगरीय क्षेत्र को चुना है, जबकि रेखा ने अभी तक किसी जिले का चुनाव भी नहीं किया है.
पार्लियामेंट रिकॉर्ड के आधार पर सचिन और रेखा ने बीते दो वर्षों में सरकार के पास किसी भी विकास कार्य का प्रस्ताव नहीं भेजा. सभी सांसद को हर साल एमपीएलएडी फंड से 5 करोड़ रुपये खर्च के लिए आवंटित किए जाते हैं. इस राशि का उपयोग सड़क निर्माण, भवन निर्माण, स्कूल निर्माण जैसे कार्यों के लिए किया जा सकता है.
जयश्री और मुंगेकर ने खर्चे 12 करोड़
राज्यसभा के 250 सदस्यों में इस समय 12 मनोनीत सदस्य शामिल हैं. इनमें कर्नाटक की मशहूर थिएटर आर्टिस्ट बी जयश्री और महाराष्ट्र के शिक्षाविद बालचंद्र मुंगेकर ने अपनी सांसद निधि से 12 करोड़ रुपये विकास कार्य के लिए खर्च किए हैं.
पत्रकार से राजनेता बने एचके दुआ ने अपने दक्षिण दिल्ली क्षेत्र में इस निधि से 10.50 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, वहीं अणु आगा ने पुणे में 5 करोड़ रुपये विकास कार्यों में खर्च किए हैं.
सचिन से आगे निकले जावेद अख्तर
मुंबई के जिस उपनगरीय क्षेत्र को सचिन तेंदुलकर ने अडॉप्ट किया है, उसी क्षेत्र को अडॉप्ट करने वाले गीतकार जावेद अख्तर ने क्षेत्र में 4.5 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है.
दूसरी ओर, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य और कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने अपने फंड में से 12 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. अय्यर ने तमिलनाडु के नागापत्तिनम जिले को अडॉप्ट किया है.