सहारा-बिरला डायरी घूस मामले की सुनवाई 11 जनवरी तक के लिए टल गई है. एडवोकेट प्रशांत भूषण ने जस्टिस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा की जस्टिस खेहर को अगला मुख्य न्यायधीश बनाने की अधिसूचना के लिए फाइल प्रधानमंत्री कार्यालय में लंबित है, इसलिए इस मामले को जल्दबाजी में निपटाने से समाज में गलत संदेश जा सकता है, इसलिए बेहतर होगा के कोर्ट इस मामले को सर्दी की छुट्टियों के बाद सुने और सुनवाई का पूरा मौका दें. इस पर कोर्ट ने उनसे नाराजगी भी जाहिर की.
इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए जस्टिस खेहर ने कहा, ' हमने आपको आज के लिए पूरी तैयारी के साथ ठोस सबूत लेकर आने को कहा था और आप अब ये बातें कर रहे हैं. यह बहुत गलत बात है.' जस्टिस खेहर के साथ बैठे जस्टिस अरुण मिश्र ने प्रशांत भूषण से कहा की ये अवमानना के समान है. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा की प्रशांत भूषण ने मामले को टलवाने के लिए बहुत ही गिरा हुआ तरीका अपनाया है. जस्टिस खेहर ने कहा की वह इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेज देते हैं ताकि वे इस मामले को किसी और बेंच के सामने भेज दें, या फिर सर्दी की छुट्टियों के बाद इसी बेंच द्वारा किसी दिन सुना जाए. इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा की बेहतर हो इसे आप की ही बेंच छुट्टियों के बाद सुने.
एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा, 'आयकर विभाग की जो रिपोर्ट मेरे पास है उसमे कई ठोस सबूत हैं. मैंने रिपोर्ट के चार खंडों में से दो पढ़ लिए हैं, दो और पढ़ने हैं. मैं कोर्ट में विस्तृत हलफनामा दूंगा और अगर कोर्ट चाहे तो मैं आज भी बहस के लिए तैयार हूं.'
गौरतलब है कि इनकम टैक्स की एक रेड में सहारा के ऑफिस से एक डायरी मिली थी, जिसमे कथित रूप से यह लिखा है की 2003 में गुजरात के मुख्यमंत्री को 25 करोड़ रुपये घूस दी गई. उस समय नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. इनके अलावा तीन और मुख्यमंत्रियों को भी घूस दी गई. भूषण के मुताबिक आय कर विभाग ने अपनी रिपोर्ट में ये बातें कहीं हैं. याचिका में उन्होंने इस मामले की एसआईटी जांच की मांग की है.